स्पेन: बड़े नेताओं के फोन हैक ,इंटेलिजेंस प्रमुख बर्ख़ास्त

स्पेन की सीएनआई (शीर्ष इंटेलिजेंस एजेंसी) की निदेशक पाज़ एस्तेबान को पद से हटा दिया गया. यह निर्णय ऐसे में आया है, जब एस्तेबान ने बीते सप्ताह देश की एक संसदीय समिति के समक्ष स्वीकारा था कि एजेंसी ने न्यायिक अनुमति मिलने के बाद कैटेलोनिया के कई अलगाववादियों के फोन क़ानूनी तरीके से हैक किए थे.

स्पेन के राष्ट्रीय खुफिया केंद्र (सीएनआई) की निदेशक पाज़ एस्तेबान. (फोटो साभार: ट्विटर/@mediatize_info)

बार्सिलोना: स्पेन सरकार ने प्रधानमंत्री और कैटेलोनिया क्षेत्र के अलगाववादियों समेत कई नेताओं के मोबाइल फोन हैक किए जाने के मामले सामने आने के बीच शीर्ष खुफिया एजेंसी की निदेशक को बर्खास्त कर दिया.

स्पेन का राष्ट्रीय खुफिया केंद्र (सीएनआई) कैटेलोनिया के अलगाववादियों की जासूसी और प्रधानमंत्री, प्रमुख रक्षा और सुरक्षा अधिकारियों के मोबाइल फोन हैक मामले को उजागर करने में एक साल का समय लगाने को लेकर सवालों में घिर गया था.

ख़बरों के मुताबिक, रक्षा मंत्री माग्रेरीटा रॉबल्स को भी हैंकिग का निशाना बनाया गया. रॉबल्स ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा कि पाज एस्तेबान को सीएनआई निदेशक पद से हटाया जाएगा.

रॉबल्स ने कहा, ‘हैकिंग का पता लगाने में एक साल लग गया. यह स्पष्ट है कि कुछ चीजें हैं जिन्हें हमें सुधारने की आवश्यकता है. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आगे इस तरह की हैकिंग न हो. हालांकि पूरी तरह कोई भी सुरक्षित नहीं हो सकता.’

मंत्री ने कहा,’पूर्ण सुरक्षा मौजूद नहीं है, हमारे पास सुरक्षा को लेकर कई तरह के खतरे हैं जो दिन-ब-दिन बड़े होते जा रहे हैं.’

एस्तेबान के स्थान पर एस्प्रेंजा कैस्तेलेरियो सीएनआई निदेशक नियुक्त की जाएंगी. रॉबल्स ने कहा, ‘कैस्तेलेरियो को खुफिया एजेंसी में तकरीबन 40 साल का अनुभव है.’

यह फैसला ऐसे में किया गया है, जब एस्तेबान ने पिछले सप्ताह स्पेन की संसद की एक समिति के समक्ष स्वीकार किया था कि उनकी एजेंसी ने न्यायिक अनुमति मिलने के बाद कैटेलोनिया के कई अलगाववादियों के फोन कानूनी तरीके से हैक किए थे.

एस्तेबान (64) जुलाई, 2019 में सीएनआई की पहली महिला अध्यक्ष बनी थीं. उन्हें पहले अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था और फरवरी, 2020 में उन्हें स्थायी कर दिया गया था.

अल-ज़जीरा के मुताबिक, स्पेन के कंज़र्वेटिव्स के नेता और प्रमुख विपक्षी दल ने कैबिनेट के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने एस्तेबान को कैटेलोनिया अलगाववादियों के लिए कुर्बान कर दिया.

पॉपुलर पार्टी के अध्यक्ष अल्बर्टो नुनेज़ फीजू ने ट्वीट कर कहा, ‘यह एक भयानक है कि सांचेज़ ने अलगाववादियों को खुश करने के लिए सीएनआई निदेशक का सिर आगे कर दिया, एक बार फिर खुद को बचाने के लिए सरकार को कमजोर किया.’

लेकिन कैटेलोनिया पार्टी ईआरसी के संसदीय प्रवक्ता गेब्रियल रुफियान ने कहा कि एस्तेबान की बर्खास्तगी अलगाववादियों को खुश करने के लिए नहीं है.

रूफियान ने कहा, ‘एस्तेबान के प्रति पूरे सम्मान के साथ मुझे यह तर्कसंगत लगता है कि एक ऐसे देश में जो यह स्वीकार करता है कि प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के फोन की अवैध जासूसी सीएनआई के प्रमुख के जिम्मेदारी संभालने बाद की गई है.’

उल्लेखनीय है कि सरकार ने हाल में कहा था कि स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज और रक्षा मंत्री के मोबाइल फोन को किसी ‘बाहरी’ ताकत ने पेगासस स्पायवेयर  के जरिये हैक किया था, जिसके बाद से सीएनआई की कार्यशैली पर सवाल उठे थे.

राष्ट्रपति कार्यालय के मंत्री फेलिक्स बोलानोस ने कहा था कि मई 2021 में दो बार प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज का मोबाइल फोन हैक हुआ था. रक्षा मंत्री मार्गरीटा रॉबल्स के फोन को अप्रैल 2021 में एक बार निशाना बनाया गया था.

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के समूह ‘सिटिज़न लैब’ के अनुसार, स्पेन की सरकार पर यह स्पष्ट करने का दबाव है कि 2017 और 2020 के बीच उत्तर-पूर्वी कैटेलोनिया क्षेत्र में अलगाववादी आंदोलन से जुड़े कई लोगों के मोबाइल फोन को पेगासस के जरिये क्यों निशाना बनाया गया.

सिटिज़न लैब ने कहा था कि कैटेलोनिया अलगाववादी आंदोलन से जुड़े 60 से अधिक लोगों को इज़राइल के एनएसओ समूह द्वारा बनाए गए पेगासस स्पायवेयर से निशाना बनाया गया था.

इससे पहले स्पेन ने कैटलोनिया की स्वतंत्रता के दर्जनों समर्थकों के फोन विवादित जासूसी सॉफ्टवेयर से हैक किए जाने के आरोपों की जांच शुरू करने के साथ वादा करते हुए कहा था कि वे इस जांच को पूरी पारदर्शिता से करेंगे.

स्पेन की सरकार ने पेगासस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से न तो इनकार किया है और न ही पुष्टि की है. उसने कहा है कि कोई भी निगरानी न्यायाधीशों की देखरेख में होती है.

मालूम हो कि कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया सूत्रों ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये दुनियाभर में नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.

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