
दिल्ली ननि चुनाव: भाजपा प्रभारी ने कहा- साफ छवि वालों को दिया जाएगा टिकट

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और दिल्ली के प्रभारी बैजयंत पांडा ने कहा कि साफ छवि और लोगों के बीच काम करने का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रखने वाले पार्टी नेताओं को ही एमसीडी चुनाव (MCD Elections) लड़ने का मौका दिया जाएगा।
दिल्ली भाजपा कार्यकारिणी की सोमवार को हुई बैठक में पांडा ने कहा कि चुनावी टिकट के इच्छुक लोगों को नेताओं की “गणेश परिक्रमा” करना बंद कर देना चाहिए और लोगों के बीच जाकर काम करना चाहिए। पांडा ने कहा कि साफ छवि वाले नेताओं को चुनाव में टिकट मिलेगा और इस दौरान उनकी जीत की क्षमता को भी ध्यान में रखा जाएगा।
2007 से लगातार दिल्ली के तीन नगर निगमों पर काबिज भाजपा अगले साल की शुरुआत में होने वाले निकाय चुनावों में सत्ता विरोधी लहर (Anti-incumbency) और आम आदमी पार्टी (आप) का मुकाबला करेगी। इस चुनाव में कांग्रेस एक और बड़ी दावेदार होगी।
पांडा ने कहा कि जनसंघ के समय से ही दिल्ली भगवा पार्टी का गढ़ रही है और उन्होंने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि हमें समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना है और अगर हम ऐसा कर सकते हैं तो कोई भी ताकत हमें न केवल आगामी निगम चुनावों बल्कि विधानसभा चुनावों में भी हरा नहीं सकती। पांडा ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को सकारात्मक सोच और निश्चित योजना के साथ चुनाव की तैयारी करने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि हमें न केवल अपने प्रतिद्वंद्वियों के कुकर्मों और गलतियों को उजागर करना है, बल्कि साथ ही हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि नरेंद्र मोदी सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों और नीतियों के बारे में संदेश कोने-कोने तक पहुंचे। अगर हमारे नेता और कार्यकर्ता एकजुट होकर आगे बढ़ते हैं तो हमें कोई नहीं हरा सकता।
गौरतलब है कि 272 वार्ड वाले दिल्ली नगर निगम चुनाव में अब बस कुछ माह शेष बचे हैं। ऐसे में अपनी छवि सुधारने के लिए भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर भाजपा अपने सभी पार्षदों को कड़ा संदेश देना चाहती है। भाजपा ने 2017 के पिछले चुनावों में 181 वार्डों में जीत हासिल की थी।
बता दें कि 2012 में एमसीडी को तीन भागों-उत्तर, दक्षिण और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में बांट दिया गया था। उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) में जहां 104-104 वार्ड हैं, वहीं पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) में 64 वार्ड हैं।
एमसीडी तीन भागों में बांटने के कदम के पीछे यह तर्क दिया गया था कि यह प्रशासन को सरल बनाएगा और दिल्लीवासियों को बेहतर नागरिक सेवाएं प्रदान करेगा, लेकिन दुर्भाग्य से ज्यादा कुछ नहीं हुआ।