Delhi Pollution: दिल्ली सरकार करायेगी कृत्रिम बारिश, IIT कानपुर का प्लान
Delhi Pollution: वायु प्रदूषण से निजाद पाने के लिए सरकार दिल्ली में ‘कृत्रिम बारिश’ कराने की तैयारी है। IIT कानपुर का प्लान बन चुका है, सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार कृत्रिम बारिश कराने में केंद्र सरकार का सहयोग दिलाने की गुजारिश करेगी।
दिल्ली में 20 और 21 नवंबर को पहली बार कृत्रिम बारिश हो सकती है। इन दो दिनों में राजधानी में हल्के बादलों की संभावना भी है। इसलिए ट्रायल की तैयारियां इन दो दिनों के लिए की जा रही हैं। इस बारिश को लेकर बुधवार को आईआईटी कानपुर के साथ पर्यावरण मंत्री गोपाल राय व अन्य अधिकारियों ने मीटिंग की।
हालाकि 2018 में आईआईटी कानपुर को परियोजना के लिए डीजीसीए और रक्षा और गृह मंत्रालयों से सभी मंजूरी मिल गई थी। लेकिन विमान की अनुपलब्धता के कारण यह परियोजना शुरू नहीं हो सकी।
मीटिंग के बाद गोपाल राय ने बताया कि नवंबर की शुरुआत से ही राजधानी में हवाओं की स्पीड काफी कम है। इस समय सबसे सख्त पाबंदियां ग्रैप-4 लागू हैं। लेकिन अगर हवाओं की गति इसी तरह की रहती है तो अगले एक हफ्ते या इससे भी अधिक समय तक यही स्थिति बनी रह सकती है। इन स्थितियों में कृत्रिम बारिश को लेकर बुधवार को आईआईटी कानपुर के साथ हमने दूसरी बैठक की।
IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने दिल्ली में धुंध साफ करने के लिए क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश कराने का प्रोजेक्ट तैयार किया था। पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी थी। इस परियोजना के लिए राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग एजेंसी के एक विमान की मांग की गई जो बादलों में उड़ सके और सिल्वर आयोडाइड को इंजेक्ट कर सके जिससे बर्फ के क्रिस्टल बनेंगे, जिससे बादल बनेंगे।
#WATCH | Kanpur, UP: IIT Kanpur professor Manindra Agrawal on artificial rain project, “IIT Kanpur has its own aircraft in which flares have been attached to do cloud seeding and it has been approved by DGCA. With this, we can do cloud seedings anywhere…We along with CII have… pic.twitter.com/nb18946nMz
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 9, 2023
पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी थी। इस परियोजना के लिए राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग एजेंसी के एक विमान की मांग की गई जो बादल में उड़ सके और सिल्वर आयोडाइड को इंजेक्ट कर सके जिससे बर्फ के क्रिस्टल बनेंगे, जिससे बादल सघन हो जाएं और संघनित होकर बारिश में परिवर्तित हो जाते हैं, इससे वायुमंडलीय धूल हट जाए और आसमान साफ हो जाए।