Tunnel Accident: मजदूरों की अटकी जान, सुरंग में फंसी 41 जिंदगियों को बचाने की जद्दोजहद जारी..
उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए सभी आधुनिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। एनडीएमए ने मीडिया को सलाह दी है कि वह बचाव अभियान पूरा होने की समय सीमा के बारे में अनुमान नहीं लगाए, क्योंकि इससे गलत धारणा बनती है।
उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में फंसी 41 जिंदगियों को बचाने की जद्दोजहद जारी है. पूरा देश 41 मजदूरों के बाहर निकलने के लिए पल-पल टकटकी लगाए इंतजार कर रहा है, टनल में फसे मजदूरों के परिवारजनों बुरा हाल है हर पल उन्हें लगता हैं उनका बच्चा सुरंग से बहार आ रहा है. रांची के खिजरी विधानसभा क्षेत्र के खिराबेड़ा गांव के तीन मजदूर पिछले 13 दिनों से उत्तरकाशी में टनल (सुरंग) में फंसे हुए हैं.
बचाव अभियान का युद्धस्तर पर किया जा रहा है. पूरे देश के साथ-साथ सुरंग में फंसे मजदूरों के परिवारों की भी उम्मीदें जिंदा हैं. सार्वजनिक क्षेत्र की पांच एजेंसियां ONGC, SJVNL, RVNL, NHIDCL और THDCL फंसे हुए मजदूरों को बचाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही हैं. बता दें कि सिल्कयारा को बारकोट से जोड़ने वाली निर्माणाधीन सुरंग 12 नवंबर को ढह गई थी. मंगलवार को, बचाव कर्मियों ने सुरंग में एक एंडोस्कोपी कैमरा डाला, जिसके माध्यम से सामने आई थी.
वही मजदूरों से जुड़े वार्ड सदस्य ने बताया कि गांव के सभी नौजवान प्रलोभन में उत्तरकाशी गए हुए थे. राज्य में बेरोजगारी का आलम और गांव की बदहाली के बीच जब उन नौजवानों को टनल में सरिया सेंटरिंग के काम के लिए 25000 महीने का प्रलोभन दिया गया तो वह काम करने के लिए अपना प्रदेश छोड़ दूसरे प्रदेश चले गए थे. वहीं काम के दौरान हुए इस हादसे में गांव के अनिल बेदिया राजेंद्र बेदिया और सुखराम बेदिया पिछले 13 दिनों से टनल के अंदर फंसे हुए हैं.
राजेंद्र बेदिया की मां फुल कुमारी ने कहा कि “पिछले 13 दिनों से हर रोज सुन रहे हैं कि बेटा वापस आएगा.पर अब तक टनल से वह बाहर नहीं निकल पाया है. उन्हें क्या भोजन मिलती होगी, वह कैसा खाता होगा, सब भगवान भरोसे है. अब तो सिर्फ ईश्वर से ही कामना है कि वह जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकले. गांव की कुलदेवी और मां रजरप्पा से मन्नत करती हूं कि जैसे ही बेटा टनल से बाहर निकाल कर वापस घर लौटेगा, सबसे पहले मां रजरप्पा के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करूंगी.
बेटे को टनल में फंसे होने पर अनिल के पिता चारकु बेदिया ने कहा कि शुरूआत में तो उन्हें भोजन में सिर्फ चना मिल रहा था, यह सुनकर अपने बड़े बेटे को हमने उत्तरकाशी भेज भी दिया है. अब सूचना आई है की टनल के अंदर खिचड़ी और भोजन पहुंचा जा रहा है. उम्मीद है कि बेटा ठीक होगा और सही सलामत वापस घर लौटेगा. टनल में फसे सुखराम बेदिया के पिता कहते हैं कि राज्य की बेरोजगारी और बदहाली के बीच आज बेटा पढ़ा लिखा होने के बावजूद दूसरे शहर में जाकर कमा रहा है.
इसी गांव के रहने वाले नरेश बेदिया भी उत्तरकाशी में ही मजदूरी कर रहे थे. उन्होंने अपने घरवालों को आंखों देखा हाल भी बताया और हर पल का अपडेट वो गांव वालों को दे रहे हैं. नरेश बेदिया की बहन खुशबू बताती हैं कि शुक्र है कि उनका भाई सुरंग के अंदर नहीं फंसा है, पर गांव के तीन लोग टनल के अंदर फंसे हुए हैं. जिस वजह से पूरा गांव परेशान है. हर कोई एक ही बात कह रहा कि एक बार सभी वापस लौट जाएं, तो फिर ऐसे कामों में उन्हें नहीं भेजेंगे.
वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को बचाव अभियान पर कहा कि ‘उन्हें श्रमिकों के सुरक्षित बाहर आने की पूरी उम्मीद है.’ उन्होंने बचाव अभियान पर अपडेट देते हुए कहा कि ‘बरमा मशीन आज काम कर रही है. मुझे उम्मीद है कि सभी मजदूर सुरक्षित बाहर आ जायेंगे.’ बता दें कि यह हादसा दिवाली की सुबह हुई थी. मंगलवार को, बचाव कर्मियों ने सुरंग में एक एंडोस्कोपी कैमरा डाला था, जिसके माध्यम से मजदूरों की पहली तस्वीरें सामने आई थी.