Hathras News: DM अर्चना वर्मा की अनोखी मिसाल, आंगनबाड़ी केंद्र में कराया बेटे का एडमिशन; हर तरफ चर्चा
Inspirational DM: हाथरस की डीएम अर्चना वर्मा ने सरकारी अफसर और कर्मचारियों के के साथ-साथ आम लोगों के लिए मिसाल पेश की है. उन्होंने अपने बेटे का एडमिशन आंगनबाड़ी केंद्र में कराया है. जहां वह आम बच्चों की तरह पढ़ता और खेलता है.
आंगनबाड़ी केंद्र और सरकारी विद्यालयों में खामियां सुविधाओं के अभाव की बातें अक्सर सामने आती रहती हैं लेकिन हाथरस के मुरसान ब्लाक के गांव दर्शना का आंगनबाड़ी केंद्र इन दिनों चर्चाओं में आ गया है। यहां डीएम अर्चना वर्मा का बेटा अभिजित सीखने के लिए जो आता है। 17 माह का अभिजित अन्य बच्चों के साथ खूब घुलमिल कर रहता है। उन्हीं के साथ खाना भी खाता है।
जिलाधिकारी अर्चना वर्मा ने मिसाल पेश की है। उन्होंने 17 माह के बेटे अभिजित का दाखिला किसी बड़े प्ले ग्रुप स्कूल में नहीं बल्कि आंगनबाड़ी केंद्र में कराया है। वह प्रतिदिन सुबह बेटे को छोड़ने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र पर जाती हैं। उनका बेटा यहीं अन्य बच्चों के साथ घुलमिल कर रहता है। डीएम के इस कदम की हर कोई सराहना कर रहा है।
आंगनबाड़ी केंद्र और सरकारी विद्यालयों में खामियां, सुविधाओं के अभाव की बातें अक्सर सामने आती रहती हैं, लेकिन हाथरस के मुरसान ब्लाक के गांव दर्शना का आंगनबाड़ी केंद्र इन दिनों चर्चाओं में आ गया है। यहां डीएम अर्चना वर्मा का बेटा अभिजित सीखने के लिए जो आता है।
17 माह का अभिजित अन्य बच्चों के साथ खूब घुलमिल कर रहता है। उन्हीं के साथ खाना भी खाता है। कई घंटे वह यहां बिताता है। उन्हीं बच्चों के साथ बैठकर आंगनबाड़ी में मिलने वाला मिड-डे मील को भी खाता है। डीएम प्रतिदिन सुबह गाड़ी से उसे छोड़ने के लिए जाती हैं। वहां 20 से 30 मिनट तक अन्य बच्चों के साथ भी रहती हैं। उसके बाद बच्चे को छोड़कर कार्यालय चली जाती हैं। छुट्टी होने पर बच्चे को डीएम के स्टाफ की कार लेने आती है।
डीएम का कहना है कि हमारे सरकारी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र अब किसी से कम नहीं है। वहां अब हर सुविधाएं हैं। लर्निंग लैब भी बन रही हैं। स्टाफ भी अच्छा है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्टाफ के लोग बच्चों की अच्छी देखभाल करता है। दर्शना गांव का आंगनबाड़ी केंद्र उनके आवास से काफी नजदीक है। आंगनबाड़ी केंद्र पर जाने से बेटे अभिजित की सीखने की रुचि बढ़ी है। वह समाजिक हो रहा है। हर किसी से घुल मिल जाता है। डीएम के अनुसार वह चाहती हैं कि बेटा सभी बच्चों के साथ घुल मिलकर रहे। उसके अंदर अच्छे संस्कार आएंगे तो भविष्य में उसके काम आएंगे।
डीएम के बेटे के दाखिले के बाद इस केंद्र पर बच्चों की संख्या भी बढ़ गई है। पहले यहां 30 बच्चे थे, गत तीन माह में यह संख्या बढ़कर 38 हो गई है। यहां स्टाफ भी सभी का बेहद ध्यान रखता है। डीएम के इस कदम के बाद आसपास के गांव के लोग भी प्रेरित हुए हैं।
निश्चित तौर पर इस तरह के सराहनीय कदम बाकी लोगो के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा. इस कार्य की जितनी सराहना की जाये वो कम होगी.