Chandigarh: मतपत्रों से छेड़छाड; लोकतंत्र का मजाक- सुप्रीम कोर्ट
चंडीगढ़ मेयर चुनावों में सुप्रीम कोर्ट ने बेहद गंभीर टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट से कार्रवाई करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने चुनाव से संबंधित सारे रेकॉर्ड व विडियो संरक्षित करने का निर्देश देते हुए कहा कि लोकतंत्र की इस तरह से हत्या की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
Mayor Elections: हाल ही में चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर का चुनाव हुआ था. इस चुनाव में गठबंधन के बावजूद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार हार गया था. हार के बाद इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस चुनाव में पीठासीन अधिकारी की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे ।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की है और कहा कि यह लोकतंत्र का मजाक है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने पीठासीन अधिकारी के खिलाफ गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस तरह से मेयर चुनाव को कंडक्ट किया गया है वह बेहद गंभीर मसला है ,इस अधिकारी पर मुकदमा चलना चाहिए । जो विडियो सामने आया है उसे देखने के बाद यह जाहिर होता है कि बैलेट पेपर को विकृत किया गया। लोकतंत्र की इस तरह से हत्या की इजाजत नहीं दी जा सकती है। शीर्ष अदालत ने चुनाव से संबंधित सारे रेकॉर्ड व विडियो संरक्षित करने का निर्देश दिया है।
क्या है मामला?
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से नहीं हुआ था और मतपत्रों से छेड़छाड़ की गई। ऐसे में आप ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की थी। हालांकि हाईकोर्ट ने आप पार्षद को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। इस पर आप पार्षद ने अंतरिम राहत न मिलने और तीन सप्ताह बाद मामले को सूचीबद्ध करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
प्रकरण पर शीर्ष अदालत की सख्त टिप्पड़ी
चीफ जस्टिस ने इस पूरे प्रकरण का विडियो देखने के बाद कहा कि पीठासीन अधिकारी वैलेट पेपर में फेरबदल करते देखे जा रहे हैं। उन्हें बताया जाए कि सुप्रीम कोर्ट यह सब देख रहा है।चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि क्या चुनाव कराए जाने का यह तरीका है? शीर्ष अदालत ने सख्त टिप्पणी में कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है। इससे पहले मेयर चुनाव की मतगणना से संबंधित विडियो चीफ जस्टिस ने देखा। इस चुनाव में बीजेपी कैंडिडेंट को 16 मत के साथ विजयी घोषित किया गया और 8 कैंडिडेट के मत को रद्द कर दिया गया था। चीफ जस्टिस ने कहा कि अदालत पीठासीन अधिकारी के व्यवहार को देखकर स्तब्ध है। चीफ जस्टिस ने टिप्पणी में कहा कि आखिर वह कैमरा क्यों देख रहे हैं?
नगर निगम की मीटिंग हुई रद्द–
चीफ जस्टिस ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस मामले में जो अप्रोच लिया उसके बाद मामले में उचित कदम उठाने की जरूरत है। कोर्ट ने सारे रेकॉर्ड रजिस्ट्रार जनरल के हवाले करने को कहा है और 7 फरवरी की नगर निगम की मीटिंग स्थगित करने का निर्देश दिया है।
आगे के लिए होगा सबक
मामले का झूठ-सच अदालती प्रक्रिया में स्पष्ट होगा, लेकिन सभी पक्षों के लिए यह सबक तो अभी से स्पष्ट है कि चुनाव में किसी खास पक्ष की जीत-हार से कहीं ज्यादा अहम है चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता। कम से कम जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को यह सबक याद रखना चाहिए।