
अपनी मेहनत से टाटा ग्रुप को बुलंदी पर पहुंचाया रतन टाटा ने

नई दिल्ली। आज 28 दिसंबर को पद्म विभूषण रतन टाटा का जन्मदिन है। रतन टाटा आज 83 साल के हो गए। रतन टाटा ने टाटा ग्रुप को अपनी अगुवाई में बुलंदी पर पहुंचाया और आज भी वे टाटा ग्रुप को मजबूती देने में काफी सक्रिय रहते हैं।
भारत सरकार ने उनकी उपलब्धियों को देखते हुए 2008 में उन्हें दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण और 2000 में पद्मभूषण से सम्मानित किया था।
1937 में सूरत में हुआ था जन्म
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को गुजरात के सूरत में पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा और माता का नाम सोनू टाटा था।
उनके पिता ने दो शादियां की थीं। उनकी सौतेली मां का नाम सिमोन टाटा था। नोएल टाटा उनके सौतेले भाई हैं।
कॉर्नेल और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने टाटा समूह में हाथ बंटाना शुरू किया। वे टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के मानद चेयरमैन हैं।
रतन टाटा 1991 में टाटा समूह के चेयरमैन बने
रतन टाटा 1962 में टाटा समूह में शामिल हुए थे। 1981 में उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज का अध्यक्ष बनाया गया और इसे बदलने की जिम्मेदारी मिली।
रतन टाटा वर्तमान में एल्को के निदेशक मंडल में के साथ मित्सुबिशी कॉरपोरेशन, जेपी मॉर्गन चेस, रोल्स रॉयस और सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण के अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड में शामिल हैं। रतन टाटा साल 1991 में जेआरडी टाटा के बाद टाटा समूह के पांचवें चेयरमैन बने थे।
उन्होंने अपनी मेहनत से टाटा समूह की छवि बदल दी और बुलंदियों पर पहुंचाया। एक के बाद एक सफलता हासिल करते हुए 1998 में टाटा मोटर्स की टाटा इंडिका बाजार में उतरी थी।
वर्ष 2007 में रतन टाटा की अगुवाई में ही टाटा संस ने जापान के कोरस समूह का अधिग्रहण किया। मार्च 2008 में रतन टाटा की अगुवाई में ही फोर्ड मोटर कंपनी से जगुआर और लैंड रोवर को टाटा मोटर्स ने खरीदा था।
2008 में नैनो कार बाजार में किया लॉन्च
रतन टाटा ने उन लोगों के लिए भी सोचा, जो कार खरीदने की तो सोचते हैं लेकिन खरीद नहीं पाते हैं। आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होने के कारण लोग कार तक पहुंच नहीं पाते हैं।
इसलिए रतन टाटा ने लखटकिया नैनो कार बाजार में लॉन्च किया। रतन की ड्रीम कार नैनो वर्ष 2008 में बाजार में आई।