गुमनाम चिठ्ठी ने खोले कई राज.. क्या है रणजीत सिंह के क़त्ल की कहानी, आज बरी हुए राम रहीम
Gurmeet Ram Rahim: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को रंजीत सिंह हत्याकांड मामले में बड़ी राहत मिली है. पहले CBI कोर्ट ने आजीवन कारावास का फैसला दिया था, अब हाई कोर्ट ने इसे पलट दिया है. इस मामले में राम रहीम के अलावा पांच अन्य लोगों को भी बरी किया गया है. इस हत्याकांड के मामले में राम रहीम को उम्रकैद की सजा मिली थी, जिसके खिलाफ राम रहीम ने अपील दाखिल की थी. राम रहीम को पंचकूला स्थित हरियाणा की विशेष सीबीआई कोर्ट ने अक्टूबर 2021 उम्रकैद की सजा में सुनाई थी.
22 साल पुराने इस हत्याकांड मामला को सीबीआई को सौंपा गया था. जिसमें 19 साल बाद सीबीआई कोर्ट ने डेरा मुखी राम रहीम को दोषी करार दिया गया था. राम रहीम फिलहाल, जेल में बंद है और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड और दो साध्वियों के दुष्कर्म के मामले में उसे सजा हुई है.
गुमनाम चिठ्ठी… और राम रहीम पर गई शक की सुई
ये बात 2002 की है. गुरमीत राम रहीम की लोकप्रियता सातवें आसमान पर थी, रणजीत सिंह के साथ-साथ उसका पूरा परिवार भी डेरे से जुड़ा हुआ था. इन्हीं दिनों एक गुमनाम चिट्ठी पंजाब के आला अधिकारियों के पास पहुंची, जिसमें आरोप लगाया गया कि डेरे में एक साध्वी का यौन शोषण हुआ है.. डेरा सच्चा सौदा पर लोगों ने सवाल दागने शुरू कर दिए. मैनेजर रंजीत सिंह भी इस मामले से दुखी थे. लिहाजा, उन्होंने डेरा के मैनेजर पद से अपना इस्तीफा दे दिया. फिर 10 जुलाई, 2002 को खबर आई कि कुछ अज्ञात बदमाशों ने डेरा के पूर्व मैनेजर रंजीत सिंह की हत्या कर दी. तब ये कहा गया कि डेरा प्रमुख राम रहीम को शक था कि वायरल चिट्ठी रंजीत ने अपनी बहन से लिखवाई है. इस वजह से रंजीत की हत्या का शक डेरा प्रमुख पर गया.
3 साल पहले हुई थी सजा
करीब 3 साल पहले यानी 2021 में रंजीत सिंह हत्याकांड में पंचकूला के सीबीआई कोर्ट गुरमीत राम रहीम को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. 31 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
CBI ने जांच की
रंजीत के घरवाले इस मामले की जांच CBI से कराना चाहते थे. वे पुलिस जांच से खुश नहीं थे. उन्होंने साल 2003 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले की CBI जांच कराने की गुहार लगाई. हाई कोर्ट ने जांच का जिम्मा CBI को सौंप दिया. साल 2007 में CBI ने चार्जशीट दाखिल कर दी. सीबीआई की विशेष अदालत के जज डॉ. सुशील कुमार गर्ग ने गुरमीत राम रहीम समेत पांच आरोपियों को दोषी करार कर दिया. उन्हें इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. लेकिन अब वे बरी कर दिए गए हैं.