सावन में सोलह श्रृंगार का बड़ा महत्व, सुहागिनों को मिलता है गौरीशंकर का आशीर्वाद, जाने क्या क्या है…

Sawan Solah Shringar: सावन के महीने में सुहागन स्त्रियां का सोलह श्रृंगार करने का विशेष महत्व है। इससे घर में सुख और समृद्ध‍ि आ‍ती है और अखंड सौभाग्य का वरदान भी मिलता है। यही वजह है कि भारतीय संस्कृति में सोलह शृंगार को जीवन का अहम और अभिन्न अंग माना गया है।

सोलह श्रृंगार(Sawan Solah Shringar)

सावन का पवित्र महीना आने वाला है। कहा जाता है कि जो सुहागन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव की आराधना करती हैं उनपर मां पार्वती और भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। अधिकतर महिलाएं इस बात को नहीं जानती कि आखिर सोलह श्रृंगार में क्या-क्या आता है। तो चलिए आज जानते हैं कि सावन के पहले सोमवार के लिए किस तरह सोलह श्रृंगार करना चाहिए।

सिंदूर

सिंदूर एक सुहागन महिला का सबसे बड़ा श्रृंगार है। 16 श्रृंगार में भी सिंदूर का स्थान सबसे ऊपर है। इसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। शादीशुदा औरतें अपने पति की लंबी आयु के लिए अपनी मांग में बीचों- बीच सिंदूर भरती हैं।

मांगटीका

एक सुहागन स्त्री के श्रृंगार में मांगटिके का बहुत महत्व होता है। शादी के समय मांगटिके को सिर के बिल्कुल बीचों-बीच पहनाया जाता हैं। कहते हैं कि इसका उद्देश्य होता है कि इसी मांगटीके की तरह ही नवविवाहित महिला भी अपने जीवन में हमेशा सीधे और सही रास्ते पर चले।

बिंदी

बिंदी को कुमकुम के नाम से भी जाना जाता है। सौभाग्यवती महिलाएं बिंदी या कुमकुम को माथे पर दोनों भौहों की बीच में लगती हैं। माथे पर सजी बिंदी भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक है। सुहागिन महिलाएं अपने परिवार की समृद्धि के लिए माथे पर बिंदी सजाती है।

काजल

काला काजल आंखों का श्रृंगार होता है। इससे आंखों की खूबसूरती तो बढ़ती ही है। इसके साथ ही काजल बुरी नजर के साए से भी बचाता है। सोलह श्रृंगार में काजल का भी महत्वपूर्ण स्थान है।

नथ

नथ नाक का गहना होता है। शास्त्रों की मानें तो सौभाग्यवती महिलाओं को नाक में हमेशा कुछ ना कुछ जरूर पहने रहना चाहिए। यह जरूरी नहीं कि आप नाक में बड़ी सी नथ पहने, छोटी सी नोजपिन या नोजरिंग से भी श्रृंगार कर सकती हैं।

गजरा

सोलह श्रृंगार में एक श्रृंगार है, बालों पर सजाया जाने वाला गजरा। हिंदू धर्म में शादी के समय बालों पर गजरा सजाया जाता है। गजरे को आप जुड़े पर या चोटी पर लटका कर लगा सकती हैं।

इयरिंग्स

सोलह श्रृंगार में कान का गहना भी शामिल है। शादीशुदा महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी लड़कियां भी कान का गहना पहन सकती हैं। कान के गहने में छोटे टॉप्स, बाली, झुमके इनमें से कुछ भी पहना जा सकता है।

गले का हार

सोलह सिंगार में अगला स्थान गले के गहने का है। आप गले में छोटी सी चेन, मंगलसूत्र या कोई पतला सा हार पहन सकती हैं। गले में पहना जाने वाला मंगल सूत्र पति के प्रति सुहागन स्त्री के वचनवद्धता का प्रतीक है।

चूड़ियां

हाथों में पहनी जाने वाली लाल हरी चूड़ियां सुहागन महिलाओं के सौभाग्य का प्रतीक है। लाल चूड़ियां खुशी और संतुष्टि का प्रतीक है, हरी चूड़ियां सुख और समृद्धि का प्रतीक है। सावन के महीने में हरी चूड़ियां पहनने का प्रचलन है।

मेंहदी

मेहंदी भी सोलह श्रृंगार का हिस्सा है। ऐसा कहा जाता है कि हाथों की मेहंदी जितनी गहरी रचती है पति का प्यार उतना ज्यादा मिलता है। सावन के महीने में मेहंदी लगाने का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

पायल

सोलह श्रृंगार में पायल का भी महत्वपूर्ण स्थान है। चांदी के धातु से बना ये गहना इस बात का प्रतीक है कि इसकी छन-छन की आवाज की तरह ही महिलाएं अपने घर आंगन को खुशियों के संगीत से सजा दें।

पैरों में आलता

घर में कथा पूजा हो या तीज त्यौहार सुहागन महिलाओं को पैरों में अलता या रंग लगाने की सलाह दी जाती है। आलता को भी 16 श्रृंगार का हिस्सा माना गया है। इसे पैरों की एड़ियों पर सजाया जाता है।

Sawan Solah Shringar हर महिला के लिए अपनी शादी का जोड़ा बेहद खास होता है। शादी का जोड़ा 16 श्रृंगार में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस जोड़े में ही एक लड़की अपने नई जिंदगी की शुरुआत करती है। शादी के जोड़े के बिना सोलह श्रृंगार अधूरा होता है।

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