केशव प्रसाद मौर्य ने खोला मोर्चा, योगी सरकार पर साधा निशाना?

Keshav Prasad Maurya: उत्तर प्रदेश में CM योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच कई बार मनमुटाव की बाते सामने आयी है, लेकिन इस बार केशव प्रसाद मौर्य खुलकर विरोध में आ चुके हैं. उन्होंने 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कहा था कि सरकार से बड़ा संगठन होता है, जिसके बाद से वे लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं.

लोकसभा चुनाव के बाद से उत्तर प्रदेश बीजेपी पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. बीजेपी कार्यसमिति में सरकार से बड़ा संगठन बताने वाले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अब खुलकर मैदान में उतर गए हैं. कैबिनेट की बैठक के बाद कुंभ को लेकर प्रयागराज में हुई मीटिंग से भी केशव ने दूरी बनाए रखी और अब अपनी सरकार से सवाल पूछने लगे हैं. केशव प्रसाद मौर्य ने अपनी ही योगी सरकार को पत्र लिखकर पूछा कि संविदा और आउटसोर्सिंग से होने वाली भर्तियों में आरक्षण के नियमों का पालन कितना किया गया है?

सरकारी विभागों में संविदा और आउटसोर्सिंग से हुई नियुक्तियों को लेकर केशव मौर्य ने 15 जुलाई को नियुक्ति और कार्मिक विभाग (डीओएपी) के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी को पत्र लिखा. इसमें उन्होंने कहा कि विधान परिषद के प्रश्नों की ब्रीफिंग के दौरान कार्मिक विभाग के अधिकारियों से आउटसोर्सिंग और संविदा पर कार्यरत कुल अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी.

प्रदेश सरकार ने की भर्ती?

केशव मौर्य ने पूछा था कि संविदा भर्ती में आरक्षण के नियम का कितना पालन किया गया. इसके अलावा उन्होंने 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण की विसंगति के बाद चयनित 6800 आरक्षण वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के मुद्दा का जिक्र किया है. उनका मानना है कि शिक्षक भर्ती में आरक्षण का यह मुद्दा काफी दिनों से अटका है, इसके कारण ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे में इसका पालन कर लिया जाना चाहिए.

विपक्ष के सुर से सुर मिलाते मौर्य?

वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि केशव प्रसाद मौर्य ओबीसी समुदाय से आते हैं और बीजेपी के ओबीसी चेहरा हैं. लोकसभा चुनाव में जिस तरह ओबीसी के वोटर छिटके हैं, उसे लेकर बीजेपी की चुनौती पहले से ही बढ़ गई है. इसीलिए केशव मौर्य की अब इस मुद्दे को उठाकर अपनी ओबीसी की पहचान को बनाए रखने की मंशा है, लेकिन उनके इस कदम से टकराव और बढ़ेगा. आरक्षण के मुद्दे पर पहले से ही योगी सरकार घिरी है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा है, जिसे लगातार सहयोगी दल उठा रहे हैं. अब केशव मौर्य ने इस मुद्दे पर पत्र लिखकर विपक्षी दलों के सुर में सुर मिलाकर अपनी ही सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला दिया है.

2017 में बीजेपी ने 15 साल के बाद यूपी की सत्ता में वापसी की थी, उस समय प्रदेश अध्यक्ष की कमान केशव प्रसाद मौर्य के हाथों में थी. ऐसे में केशव प्रसाद खुद को सीएम पद के उम्मीदवार के रूप में देख रहे थे, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने सत्ता की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथों में दे दी और केशव को डिप्टी सीएम के पद से ही संतोष करना पड़ा था. इसके बाद से दोनों ही नेताओं के बीच सियासी टकराव रहा.

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