क्या हुआ जो इस शेयर ने भरी उड़ान बाकी सब धड़ाम? जानें SEBI का नया नियम
SEBI New F&O Rules: एक तरफ जहाँ दिग्गज कपनियों के शेयर आज औंधे मुँह गिर रहे हैं तो वहीं BSE के शेयर उड़ान भर रहे हैं। आज 10 पर्सेट की उछाल के साथ ऑल टाइम हाई पर पहुंच गए। आखिर ऐसा क्या हुआ कि बीएसई के शेयर आज ऑल टाइम हाई पर हैं? दरअसल सेबी द्वारा F&O की देखरेख के लिए एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की शुरुआत के बाद बीएसई शेयर की कीमतें लगभग 10% बढ़ गईं।
मंगलवार शाम को सेबी ने छह नए गाइड लाइनों का एक सेट जारी किया। इसमें इंडेक्स फ्यूचर्स की साप्ताहिक एक्सपायरेशन को बैन करना और प्रीमियम को अग्रिम रूप से एकत्र करना शामिल था। ये छह नियम नवंबर 2024 और अप्रैल 2025 के बीच लागू होंगे।
BSE के शेयरों में उछाल
बीएसई सेंसेक्स से जुड़े वीकली डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट को जारी रखेगा। इस मामले से जुड़े दो लोगों ने यह जानकारी दी। सेबी के नए नियम के मुताबिक, हर स्टॉक एक्सचेंज को सिर्फ एक वीकली ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट की इजाजत होगी। 3 अक्टूबर को बीएसई के शेयरों में तेजी देखने को मिली। 1:33 बजे बीएसई का शेयर 4 फीसदी से ज्यादा चढ़कर 4,018 रुपये था।
बीएसई पर ‘न्यूट्रल’ रेटिंग बरकरार
सेबी के नए फ्रेमवर्क की घोषणा के बाद ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने अपनी रिपोर्ट में बीएसई पर ‘न्यूट्रल’ रेटिंग बरकरार रखी है। ब्रोकरेज के एनालिसिस के मुताबिक, अगर डेरिवेटिव वॉल्यूम 22 पर्सेट ग्रोथ के बजाय 20 पर्सेट तक घटता है तो बीएसई की अर्निंग्स पर असर कम से कम होगा और प्रीमियम और नोशनल टर्नओवर रेशियो 0.072 पर्सेट से बढ़कर 0.09 पर्सेट हो जाएगा।
क्यों लाए गए नए नियम?
डेरीवेटिव मार्केट में काफी जोखिम है. सेबी को चिंता है कि इसमें रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ रही है. निवेशकों का रुझान इधर इसलिए ज्यादा बढ़ा है क्योंकि यहां बड़ा मुनाफा दिखता है. लेकिन, इनमें ऐसे निवेशकों भी शामिल हैं, जिन्हें डेरीवेटिव की समझ कम है. सेबी की लिमिट बढ़ाने के पीछे मकसद यही है कि डेरीवेटिव मार्केट में ऐसे निवेशक उतरें जो मार्केट को लेकर गंभीरता से सोचते हैं.
F&O पर SEBI के सर्कुलर का बाजार पर क्या असर होगा?
- बाजार के लिए न्यूट्रल है, इस वजह से गिरेंगे नहीं.
- F&O वॉल्यूम में थोड़ी कमी आएगी.
- रिटेल की सट्टेबाजी थोड़ी कम होगी.
- बड़े फंड और ट्रेडर्स की कमाई कम होगी.
- Algo, मशीन ट्रेड, Prop Trade और Arbitragers की कमाई घटेगी.
- ब्रोकर्स के बिजनेस में कमी की आशंका.
रिटेल ट्रेडर्स के लिए बढ़ेगा रिस्क
सेबी का कहना है कि इन नियमों का उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रिटेल ट्रेडर्स के लिए जोखिम और बढ़ सकता है. विशेष रूप से उन ट्रेडर्स के लिए, जिनके पास सीमित पूंजी होती है और जो ज्यादा जोखिम नहीं ले सकते. इसके साथ ही व्हाइटस्पेस अल्फा (Whitespace Alpha) के सीईओ और फंड मैनेजर पुनीत शर्मा का कहना है कि नए नियम ट्रेडिंग स्ट्रैजीज़ की फ्लेक्सिबिलिटी कम कर सकते हैं और निवेशकों को अपने जोखिम लेने की क्षमता को समझने के मौके भी कम मिलेंगे.
उन्होंने कहा, “सेबी ने बाजार में सुरक्षा के नियम तो लागू किए हैं, लेकिन इससे उन निवेशकों की भागीदारी भी कम हो सकती है, जो बाजार में लिक्विडिटी बनाने में योगदान करते थे.” यह भी देखा गया है कि जिन ब्रोकरों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा डेरिवेटिव्स से आता है, उन्हें इन नए नियमों से नुकसान हो सकता है.
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