पटाखों पर प्रतिबन्ध के बावजूद कैसे हुई आतिशबाजी? सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार
Supreme Court notice on firecracker: राजधानी दिल्ली में प्रतिबंध होने के बावजूद इतना अधिक मात्रा में पटाखे कैसे फोड़े गए। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बैन होने के बावजूद हुई आतिशबाजी पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस से दिवाली के दौरान पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध पर “तत्काल” प्रतिक्रिया मांगी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर साल इस प्रतिबंध की घोषणा की जाती है, लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप त्योहार के बाद कई दिनों तक राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में जहरीली हवा की घुटन बनी रहती है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली में बैन के बावजूद पटाखे जलाए जाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगले साल से इसका सख्त पालन सुनिश्चित हो. एमिकस क्यूरी ने बताया कि दिवाली के दिन पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं अधिक हुईं. कोर्ट ने इस पर पंजाब और हरियाणा से जवाब मांगा. साथ ही कोर्ट ने अतिरिक्त फंड की पंजाब की मांग पर 2 सप्ताह में फैसला लेने को कहा.
पटाखों पर प्रतिबन्ध महत्वपूर्ण उपाय:कोर्ट
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, “ऐसी व्यापक खबरें हैं कि दिल्ली एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध बिल्कुल भी लागू नहीं किया गया. यह प्रदूषण कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता था.”
अदालत ने दिल्ली सरकार से पूछा, “(पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का) आदेश क्या है. इसे कैसे लागू किया जा रहा है. कुछ तो करना ही होगा.” साथ ही सरकार को “कम से कम अगले साल के लिए” एक तंत्र बनाने का काम सौंपा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 2025 में दिल्ली वायु प्रदूषण से दम न घोंटे.
कोर्ट ने सरकार से माँगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार अपने जवाब में प्रदूषण से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल करे। साथ ही दिल्ली के पुलिस कमिश्नर भी प्रतिबंध को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल करें। कोर्ट ने कहा कि दोनों को यह बताना चाहिए कि वे क्या कदम उठाने का प्रस्ताव रखते हैं? ताकि अगले साल पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सके। इसमें सार्वजनिक अभियान के लिए उठाए गए कदम भी शामिल होने चाहिए।
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