
रामायण को अर्थ सहित गाकर समाज को एक नई दिशा प्रदान करना चाहते हैं डॉ. समीर त्रिपाठी

लखनऊ। आध्यात्म व भगवान की भक्ति की शक्ति को अधिकतर लोग मानते है। जो नहीं भी मानते उन्हें भी विपरीत व विषम परिस्थितियों में ईश्वर ही याद आते हैं।
ऐसी ही एक विषम परिस्थिति कोरोना महामारी से जब पूरा विश्व त्राहिमाम कर रहा था तब लोगों को आध्यात्म व ईश्वरीय सत्ता पर ज्यादा भरोसा हुआ।
आध्यात्म व ईश्वरीय सत्ता के इसी भरोसे व विश्वास का उपयोग कर मेधज टेक्नोकांसेप्ट प्रा.लि. के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक डॉ. समीर त्रिपाठी ने कोरोना काल में अपने आसपास के लोगों की अंदरूनी शक्ति को खूब विकसित व मजबूत किया जिससे काफी लोग कोरोना के भयावह वातावरण का सामना करने में कामयाब हुए।
एक बड़े उद्योगपति होने के साथ-साथ डॉ. समीर त्रिपाठी की आध्यात्म में बहुत रूचि है और यह उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली है।
अपने पिता द्वारा लिखित गीता वाणी नामक पुस्तक से प्रेरित होकर डॉ. समीर त्रिपाठी ने भगवतगीता, शिवश्त्रोत, नारद उवाच आदि मन्त्रों को अपनी सुरीली आवाज में पिरोया है।

डॉ. समीर त्रिपाठी ने रामचरितमानस के बालकाण्ड को भी अपनी सुरमयी आवाज़ प्रदान की है और अब डॉ. त्रिपाठी सम्पूर्ण रामचरितमानस अपनी आवाज़ में गाने जा रहे हैं जो कि एक विश्व रिकॉर्ड होगा।
आध्यात्म के शक्ति को मन की शांति का आधार मानते हैं डॉ. समीर त्रिपाठी
आज जब पूरी दुनिया धन व भौतिकता की अंधी दौड़ में शामिल है ऐसे में डॉ. समीर त्रिपाठी का मानना है कि व्यक्ति को मन की शांति आध्यात्म व भगवत भजन से ही मिलेगी और इसके कई उदाहरण भी हैं। भारतीय समाज जिस पश्चिमी सभ्यता का अन्धानुकरण करता है वही समाज शांति की खोज में भारत भूमि का वरण करता है।
डॉ. समीर त्रिपाठी का कहना है सम्पूर्ण समाज को सही मार्गदर्शन देने वाला हमारा ग्रन्थ रामायण अभी तक अर्थ सहित स्वर लहरियों में नहीं पिरोया गया है।
इसलिए मुझे यह स्व-प्रेरणा मिली कि रामायण को अर्थ सहित गाकर समाज को एक नई दिशा प्रदान की जा सकती है जिससे हमारी जो युवा पीढ़ी अपने संस्कारों व अनमोल ग्रंथों से दूर होती जा रही है उसका कुछ मार्गदर्शन किया जा सके।
व्यापार की जिम्मेदारियों को निभाते हुए स्वयं का स्टूडियो बनाकर डॉ. समीर त्रिपाठी ने आध्यात्म व भगवत भजन की अपनी एक अलग संगीतमय दुनिया बनाई है जिसमे उनके संगीतकार सहयोगी बराबर उनका साथ देते है।
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