LAC पर हालात सामान्य…लोकसभा में भारत-चीन संबंधों पर बोलें विदेश मंत्री
India-China relations : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को लोकसभा में चीन के बारे में बोले। उन्होंने कहा कि मैं सदन को भारत-चीन सीमा क्षेत्र में हाल के कुछ घटनाक्रमों और हमारे पूरे द्विपक्षीय संबंधों पर उनके प्रभावों से अवगत कराना चाहता हूं। सदन को पता है कि 2020 से हमारे संबंध असामान्य रहे हैं। चीनी की गतिविधियों की वजह से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द भंग हुआ।
उन्होंने कहा कि चीन से सीमा मुद्दे पर बातचीत की गई। यह बताया गया कि सीमा पर शांति होने पर ही रिश्ते सुधरेंगे। कूटनीतिक रास्ते से मामले का हल निकला। अब एलएसी पर हालात सामान्य हैं। पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से डिसइंगजेमेंट हो चुका है।
विदेश मंत्री ने सेना को दिया श्रेय
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, एलएसी पर बहाली का पूरा श्रेय हमारे देश की सेना को जाता है। उन्होंने बताया कि, भारत और चीन के बीच सहमति बनी है कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं किया जाएगा और साथ ही दोनों देशों के बीच पुराने समझौतों का पालन किया जाएगा। सीमा पर शांति के बिना भारत-चीन के संबंध सामान्य नहीं रह सकते। एस जयशंकर ने 1962 के संघर्ष का जिक्र किया और पाकिस्तान की ओर से कब्जाई गई भारतीय जमीन चीन को दिए जाने का भी जिक्र किय। गलवान की घटना के बाद एलएसी पर जारी तनातनी का उल्लेख करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि तब पैट्रोलिंग बंद थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, मैंने चीनी विदेश मंत्री से बात की है, रक्षा मंत्री ने भी चीनी रक्षा मंत्री से बात की है। आसियान के सम्मेलन में भी भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात हुई थी। उस मुलाकात में कहा गया कि दोनों ओर से एलएसी का सम्मान होना चाहिए। पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से डिसइंगेजमेंट हो चुका है, तनाव वाले इलाकों में डिसइंगेजमेंट पर हमारा फोकस है। विदेश मंत्री ने सीमा सड़क संगठन की ओर से बनवाए गए रोड और टनल का जिक्र भी अपने बयान में किया और कहा कि सरकार सीमा की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है।
द्विपक्षीय चर्चा पर दिया गया जोर
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन ने सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कई दशकों तक बातचीत की। सीमा विवाद के समाधान के लिए निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य रूपरेखा पर पहुंचने के लिए द्विपक्षीय चर्चा की गई।
2020 के घटनाक्रम का जिक्र
उन्होंने कहा कि सदस्यों को याद होगा कि अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन ने बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र किया। इस वजह से कई जगहों पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने भी आ गई थीं। इस स्थिति के कारण गश्त में भी बाधा उत्पन्न हुई। उन्होंने कहा कि यह हमारे सशस्त्र बलों के लिए गौरव की बात है कि रसद संबंधी चुनौतियों और कोविड के बावजूद उन्होंने तेजी से सीमा पर जवाबी तैनाती की।
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