Satellite में तकनीकी खराबी… ISRO को टालनी पड़ी PROBA-3 की लॉन्चिंग
PROBA-3 Mission: इसरो ने प्रोबा-3 अंतरिक्षयान में पाई गई “विसंगती” के कारण पीएसएलवी-सी59 के प्रक्षेपण को गुरुवार के लिए पुनर्निर्धारित किया है, एजेंसी ने बुधवार को निर्धारित प्रक्षेपण से कुछ मिनट पहले घोषणा की। बेंगलुरू स्थित इस अंतरिक्ष एजेंसी ने मूल रूप से बुधवार को यहां अंतरिक्षयान से शाम 4.08 बजे प्रक्षेपण की योजना बनाई थी।
अंतरिक्ष एजेंसी ने प्रक्षेपण से कुछ मिनट पहले एक अपडेट में कहा, ‘प्रोबा-3 अंतरिक्षयान में पाई गई विसंगति के कारण पीएसएलवी-सी59/प्रोबा-3 का प्रक्षेपण कल 16:12 बजे पुनर्निर्धारित किया गया है।’ इसरो ने X पर एक पोस्ट में कहा, ‘PROBA-3 अंतरिक्ष यान में पाई गई विसंगति के कारण PSLV-C59/PROBA-3 प्रक्षेपण को कल 16:12 बजे पुनर्निर्धारित किया गया है।’
Due to an anomaly detected in PROBA-3 spacecraft PSLV-C59/PROBA-3 launch rescheduled to tomorrow at 16:12 hours.
— ISRO (@isro) December 4, 2024
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार अपनी तरह की दुनिया की पहली पहल के रूप में नामित, प्रोबा-3 (ऑनबोर्ड एनाटॉमी के लिए परियोजना) में दो उपग्रह शामिल हैं, जिसमें दो अंतरिक्ष यान एक साथ उड़ान भरेंगे, जो सूर्य के बाहरी वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए एक मिलीमीटर तक सटीक गठन बनाए रखेंगे।
क्या है PROBA-3 मिशन?
आपको जानकारी दें कि इसरो का PROBA-3 मिशन यूरोप के कई देशों का एक पार्टनरशिप प्रोजेक्ट के तौर पर है। इनमें स्पेन, पोलैंड, बेल्जियम, इटली और स्विट्जरलैंड जैसे देश में शामिल है। मिशन में आने वाली लागत करीब 200 मिलियन यूरो के करीब मानी गई है।
बताया जा रहा है कि प्रोबा- 3 मिशन करीब 2 साल तक चलेगा। इस मिशन को लेकर खास बात है कि इसकी मदद से अंतरिक्ष में ‘प्रिसिजन फॉर्मेशन फ्लाइंग’ को टेस्ट करने की तैयारी है। इस मिशन के तहत अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट एक साथ उड़ेंगे। वहीं, ये दोनों लगातार एक ही फिक्स कॉन्फिगरेशन को मेंटेन करेंगे।
PROBA-3 करेगा सूर्य का अध्यन
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. सुरिंदर पॉल ने बताया, ”…सूर्य का अध्ययन करने के लिए इसरो PROBA-3 उपग्रह लॉन्च कर रहा है, जिसमें दो उपग्रह शामिल हैं…दोनों उपग्रह 150 मीटर की दूरी पर अलग होंगे और इनके बीच की दूरी सटीकता बनी रहेगी उप-सेंटीमीटर सटीकता में…इस मामले में प्रति कक्षा, 6 घंटे तक अध्ययन किया जा सकता है और 6 घंटे का डेटा उपलब्ध होगा जो कि बाहर बहुत हल्का है, इससे हमारी मौसम की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है। “
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