क्या है आईपीसी की धारा 498A? अतुल सुभाष केस के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा…

Atul Subhash Case: बेंगलुरु में पत्नी की प्रताड़ना से तंग आकर खुदकुशी करने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष के मामले में पुलिस जांच शुरू हो चुकी है।

AI Engineer Suicide Case: बंगलूरू में इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या (Atul Subhash Case) के मामले में अब पत्नी निकिता सिंघानिया की सफाई सामने आई है। दरअसल निकिता ने साल 2022 में अतुल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें अतुल और उसके परिवार पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। निकिता ने शिकायत में ये भी कहा कि उसके पति और ससुराल वालों की दहेज की मांग के चलते ही उसके पिता की सदमे में मौत हो गई थी। हालांकि अतुल ने अपने सुसाइट नोट में अपने ऊपर लगे सभी आरोपों का जवाब दिया है। 

आईपीसी की धारा 498A क्या है?
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 498A को 1983 में विवाहित महिलाओं के खिलाफ हो रही क्रूरता और उत्पीड़न को रोकने के लिए लागू किया गया था. इस प्रावधान का उद्देश्य उन महिलाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान करना था, जो अपने पति या ससुराल वालों द्वारा की गई क्रूरता का शिकार होती हैं. यानी किसी महिला को उसके पति या ससुराल पक्ष के लोगों द्वारा किसी भी प्रकार का मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न सहना पड़ता है, तो यह अपराध की श्रेणी में आता है.

इस कानून के गलत प्रयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने क्‍या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (10 दिसंबर, 2024) को कहा कि दहेज उत्पीड़न के मामलों में अदालतों को कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए और पति के सगे-संबंधियों को फंसाने की प्रवृत्ति को देखते हुए निर्दोष परिवार के सदस्यों को अनावश्यक परेशानी से बचाना चाहिए. जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि वैवाहिक विवाद से उत्पन्न आपराधिक मामले में परिवार के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी को इंगित करने वाले विशिष्ट आरोपों के बिना उनके नाम का उल्लेख शुरू में ही रोक दिया जाना चाहिए.

बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी। इसमें घरेलू हिंसा के शिकार विवाहित पुरुषों द्वारा आत्महत्या से निपटने के लिए दिशानिर्देश देने की बात कही गई थी। साथ ही देश में पुरुषों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि 2021 में लगभग 33.2 प्रतिशत पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं के कारण और 4.8 प्रतिशत ने विवाह संबंधी मुद्दों के कारण आत्महत्या की है। यह याचिका एडवोकेट महेश कुमार तिवारी द्वारा दाखिल की गई थी।

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