अखिलेश की ग़ैरमौजूदगी में कमजोर पड़ रही सपा… संभल-बहराइच मुद्दे पर बैकफुट पर दिखी विपक्ष
UP Vidhansabha Winter Session: विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के चौथा दिन भी हंगामे भरा रहा। सपा विधायक हाथों में बाबा साहेब अम्बेडकर की फोटो लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इस बीच निष्कासित किए गए समाजवादी पार्टी के सरधना विधायक अतुल प्रधान गले में बाबा साहेब अंबेडकर की फोटो डालकर साइकिल से अंबेडकर प्रतिमा पर धरने देने के लिए गए. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि मैं सदन में जनता से जुड़े मुद्दे उठा रहा था, इसीलिए मुझे बाहर निकाला गया. उन्होंने ये भी कहा कि विधानसभा में अखिलेश यादव की कमी खल रही है.
अगर देखा जाय तो अखिलेश यादव के लखनऊ से दिल्ली जाने के बाद किसी भी बड़े मुद्दे पर विधानसभा में सपा योगी सरकार की घेराबंदी नहीं कर पाई है. उलटे अतुल प्रधान और संभल-बहराइच के मुद्दे पर सपा बैकफुट पर चली गई.
माता प्रसाद के पास नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी
2024 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से जीत हासिल करने के बाद अखिलेश यादव लोकसभा चले गए. अखिलेश ने अपनी जगह नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर माता प्रसाद पांडे की नियुक्ति कर दी. कद्दावर नेता पांडे विधानसभा के स्पीकर भी रहे हैं. ब्राह्मण समुदाय से आने वाले माता प्रसाद इटवा सीट से विधायक हैं.
81 साल के पांडे को मुलायम और शिवपाल का करीबी माना जाता है. विपक्ष की तरफ से फ्लोर मैनेजमेंट का जिम्मा नेता प्रतिपक्ष के पास ही रहता है.
खल रही अखिलेश यादव की कमी
अतुल प्रधान उन्होंने कहा कि इस समय समाजवादी पार्टी देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. अखिलेश जी देश के बड़े नेता हैं, उनका अनुभव है, मुख्यमंत्री रहे, विपक्ष के नेता रहे. अलग-अलग सदनों में रहे तो अनुभव बड़ा है. नॉलेज, जानकारी और साहस इन सबकी जरूरत पड़ती है तो अखिलेश जी का वहां पर रहना ज्यादा अच्छा था. हालांकि अभी भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अनुभवी हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या चाहेंगे कि उनकी वापसी हो. इस पर उन्होंने कहा कि ये निर्णय उनका ही होगा. 2027 में सीएम बनें, ये सबसे अच्छा होगा.
सपा विधायकों को अखिलेश का सुझाव
अतुल प्रधान ने बताया कि सपा विधायकों की मीटिंग में अखिलेश ने कहा कि जनता के हर विषय पर हमें लड़ना है. जहां सरकार जनता का ध्यान बांटने के लिए जातीय, धार्मिक, हिंदू-मुसलमान के मुद्दे निकालकर लाती है, इसको लेकर महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर चर्चा करनी चाहिए. इन मुद्दों पर ये लोग चर्चा नहीं करते, जिसका खामियाजा जनता को उठाना पड़ता है.
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