Lucknow News: बंदरो के आतंक से सहमी राजधानी, बढ़ते जा रहे मामले…

Lucknow News: राजधानी लखनऊ के कई इलाकों में बंदरों का आतंक है। बंदरों के झुंड निकलते हैं तो मोहल्लों में सन्नाटा पसर जाता है। लोग घरों के दरवाजे बंद कर लेते हैं। 

Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि हर घंटे कम से कम एक व्यक्ति बंदर के काटने का शिकार हो रहा है। सोचिए, हर घंटे एक नया मामला सामने आ रहा है। शहर के अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में हर महीने करीब 600 बंदर काटने के नए मामले आते हैं। अगर निजी अस्पतालों के आंकड़े भी जोड़ लिए जाएं, तो ये संख्या 700-720 तक पहुंच जा रहा है। ये स्थिति वाकई चिंताजनक है।

घरों में कैद होने को मजबूर लोग

परिवारों ने खुद को घरों में कैद कर लिया है। छतों और बालकनी पर जाना छोड़ दिया है। जाल लगाकर छत और बालकनी बंद करा दी है। बाबूगंज ही नहीं चिनहट, आशियाना, तेलीबाग में बंदरों का आतंक है। छह माह में इन इलाकों में 100 से अधिक लोगों पर बंदर हमले कर चुके हैं। इसके इतर कोई भी सरकारी विभाग जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। बंदरों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने और हमलों को रोकने के लिए ज़रूरी कदम उठाने की सख्त जरूरत है।

वन विभाग और नगर निगम कर रहे लीपापोती

वन विभाग और लखनऊ नगर निगम (LMC) दोनों के अलग-अलग विचार हैं। अपर नगर आयुक्त अरविंद कुमार राव ने कहा कि बंदरों से निपटना वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है। हालांकि, अगर ज़रूरत पड़ी तो लखनऊ नगर निगम उनकी आबादी को नियंत्रित करने के प्रयासों में सहयोग करने को तैयार है।

दूसरी ओर, डीएफओ लखनऊ, शीतांशु पांडे ने कहा कि रीसस मकाक प्रजाति के बंदरों को 2022 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम से हटा दिया गया था। इसका मतलब है कि अब उन्हें आवारा जानवर माना जाता है और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी लखनऊ नगर निगम की है। जैसे-जैसे स्थिति बदल रही है, विशेषज्ञ और अधिकारी जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहतर तालमेल और तुरंत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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