Trump प्रशासन की बड़ी चूक… हूती विद्रोहियों पर हमले को लेकर चैट हुई लीक


Donald Trump Administration
: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों ने यमन के हूती समूह के खिलाफ सैन्य हमलों की योजना पर एक व्यावसायिक मैसेजिंग सेवा पर विस्तृत चर्चा की। कई समाचार रिपोर्टों के अनुसार, अधिकारियों ने भी इस चर्चा की पुष्टि की है।

ये चर्चा कई दिनों तक चली और इसमें हमले की पूरी जानकारी, हथियारों का इस्तेमाल और समय की बात हुई। गलती से इस ग्रुप में द अटलांटिक मैगजीन के संपादक जेफरी गोल्डबर्ग को भी जोड़ दिया गया।

इन चर्चाओं को करने वाले अधिकारियों ने सिग्नल नाम की एक सुरक्षित मैसेजिंग सेवा का इस्तेमाल किया। इसमें उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस, रक्षा सचिव पीट हेगसेथ, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज, सीआईए निदेशक जॉन रेडक्लिफ और राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड शामिल थीं। एक व्यक्ति जिसे एमएआर कहा गया, माना जाता है कि वह विदेश सचिव मार्को रुबियो थे।

चर्चा के बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता। मैं अटलांटिक का बहुत बड़ा प्रशंसक नहीं हूं।”

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ब्रायन ह्यूजेस ने द अटलांटिक द्वारा प्रकाशित चर्चाओं की प्रामाणिकता की पुष्टि की।

यह भी पढ़ें…

Israel ने स्वीकार की अपनी गलती… गाजा में रेड क्रॉस की इमारत पर किया था हमला

उन्होंने कहा, “अभी तक, जो मैसेज थ्रेड की खबर आई है, वह सच लगती है। हम यह देख रहे हैं कि गलती से कोई नंबर उसमें कैसे जुड़ गया।”

उन्होंने आगे कहा, “ये थ्रेड दिखाता है कि बड़े अधिकारियों के बीच नीति पर गहरी और सोची-समझी समन्वय था। हूती ऑपरेशन की लगातार सफलता बताती है कि हमारे सैनिकों या राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा नहीं था।”

ट्रंप प्रशासन द्वारा हूतियों के खिलाफ पहला अमेरिकी हमला 15 मार्च को शुरू हुआ, जब हूती विद्रोहियों ने गाजा की नाकाबंदी को लेकर इजरायल के खिलाफ हमले फिर से शुरू करने की धमकी दी थी।

यह भी पढ़ें…

Pak Afghan Border से घुसपैठ की कोशिश नाकाम… 16 आतंकी ढेर

ये हमले सप्ताहांत में और अधिक होने के साथ जारी रहे और सोमवार तक चले।

हूती समूह ने नवंबर 2023 से पश्चिम एशिया के जलक्षेत्र लाल सागर, अदन की खाड़ी, बाब अल-मंदेब जलडमरूमध्य और अरब सागर में करीब 100 व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया है। यह हमले तब शुरू हुए, जब इजरायल ने हमास के 7 अक्टूबर के आतंकी हमलों का जवाब दिया था।

यह भी पढ़ें…

Afghan नागरिकों को छोड़ना होगा देश… नहीं बढ़ेगी निर्वासन की समय सीमा

Back to top button