
Union Minister Piyush Goel का ब्रिटेन दौरा, शीर्ष व्यापारिक नेताओं के साथ की चर्चा
Piyush Goel Britain Visit: केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ब्रिटेन में भारतीय व्यापार प्रतिनिधियों और बड़े उद्योगपतियों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भारत और ब्रिटेन के काम करने और साथ में तरक्की करने के नए अवसरों पर बातचीत की।
वाणिज्य मंत्री ब्रिटेन, नॉर्वे और यूरोपीय संघ के साथ भारत के व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने के लिए इस सप्ताह लंदन, ओस्लो और ब्रुसेल्स की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं।
गोयल ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, “भारतीय व्यापार प्रतिनिधियों के साथ रात के खाने पर मुलाकात की। बातचीत में हमारे उद्योग के मजबूत विकास और आपसी समृद्धि के लिए यूके के साथ अधिक सहयोग के अवसरों पर चर्चा की गई।”
उन्होंने रत्न और आभूषण के क्षेत्र में दुनिया भर के नए रुझान जानने के लिए डी बीयर्स कंपनी के सीईओ अल कुक और उनकी टीम से भी मुलाकात की।
मंत्री ने कहा, “हमने भारत में हीरा उद्योग में मौजूद अवसरों इसे टिकाऊ बनाने के तरीकों और आगे बढ़ने की संभावनाओं पर बात की।”
गोयल ने रेवोल्यूट के अध्यक्ष मार्टिन गिल्बर्ट से भी मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भारत के फिनटेक सेक्टर में मौजूद बड़े मौके, इनोवेशन व विकास को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर काम करने की अहमियत पर बात की।
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इससे पहले, गोयल ने ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जे. रेनॉल्ड्स से मुलाकात की। उन्होंने भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत को आगे बढ़ाने पर चर्चा की।
भारतीय मंत्री ने अपने ब्रिटिश समकक्ष के साथ बैठक को भारत-ब्रिटेन आर्थिक संबंधों को गहरा करने की प्रतिबद्धता का हिस्सा बताया।
बैठक के बाद गोयल ने एक्स पर लिखा, “द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से दो दिवसीय गहन चर्चा के लिए लंदन पहुंचा हूं। अपने पहले कार्यक्रम में, मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए ब्रिटेन के बिजनेस और ट्रेड मंत्री जे. रेनॉल्ड्स के साथ एक सार्थक बैठक की, जिससे भारत-ब्रिटेन आर्थिक संबंधों की हमारी प्रतिबद्धता मजबूत हुई।”
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इस यात्रा का मकसद भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत को अंतिम रूप देना है, क्योंकि यह बातचीत अब अपने आखिरी दौर में है।
भारत और यूके चाहते हैं कि प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत जल्द ही पूरी हो क्योंकि अमेरिकी टैरिफ के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार को मुश्किलें आ सकती हैं।
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