रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर भारत क्यों रहा तटस्थ? दी जानकारी

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ एक निंदा प्रस्ताव लाया गया। रूस ने वीटो का इस्तेमाल कर इसे गिरा दिया। भारत ने वोटिंग से खुद को अलग रखा।
प्रस्ताव के पक्ष में 11 मत मिले जबकि भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात तीन देशों ने मतदान से परहेज किया।
भारत ने इस दौरान सभी सदस्य देशों को मतभेदों और विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत में शामिल होने की अपील की।
भारत ने सुरक्षा परिषद को बताया कि उसने रूस की आक्रामकता के खिलाफ अमेरिका द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने भारत के वोट की व्याख्या में कहा, “यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत परेशान है। हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए सभी प्रयास किए जाएं।”
तिरुमूर्ति ने कहा, “चाहे इस समय कितना भी कठिन क्यों न लगे, लेकिन मतभेदों और विवादों को निपटाने के लिए संवाद ही एकमात्र उपाय है।
यह खेद का विषय है कि कूटनीति का मार्ग छोड़ दिया गया। हमें इस पर वापस लौटना चाहिए। इन सभी कारणों से भारत ने प्रस्ताव पर मतदान से परहेज का विकल्प चुना है।”
संयुक्त राज्य अमेरिका और अल्बानिया द्वारा तैयार मसौदा प्रस्ताव को ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, जॉर्जिया, जर्मनी, इटली, लिकटेंस्टीन, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, रोमानिया, यूनाइटेड किंगडम सहित कई अन्य देशों द्वारा सह-प्रायोजित किया गया था।
रूस 15-सदस्यीय शक्तिशाली सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य है। जैसा कि अपेक्षित था, रूस ने अपनी वीटो पावर का उपयोग किया और प्रस्ताव विफल हो गया।
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने कहा, “कोई गलतफमही में न रहे। रूस अलग-थलग है। उसे यूक्रेन पर आक्रमण का कोई समर्थन नहीं है।”