Ajab Gajab: भारत का पहला रेस्टोरेंट…पैसे नहीं कूड़ा-कचरा देने पर देता है भर पेट खाना

Garbage Cafe: अगर आपको भूख लगी है और आप खाना खाना चाहते है तो इसके लिए पैसे देने की जरूरत नहीं है और आप अच्छे खासे रेस्टोरेंट में खाना खा सकते हैं। जी हां, जानकर हैरानी हो रही होगी लेकिन हम जिस रेस्टोरेंट की बात कर रहे हैं वो मुफ्त में खाना देता है बस इसके लिए आपके पास प्लास्टिक का कूड़ा होना चाहिए।

इंसान के कदम तेजी से विकास की ओर बढ़ रहे हैं, इसके बावजूद स्वच्छता और भुखमरी देश में बड़ी चुनौती बने हुए हैं. इन दोनों समस्याओं को जड़ से खत्म करने के लिए छत्तीसगढ़ नगर-निगम ने एक अच्छी पहल की है. छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर में एक ऐसा ‘गार्बेज कैफे’ लॉन्च हुआ है जो कचरे के बदले भूखे लोगों का पेट भरेगा.

भारत का पहला गार्बेज कैफे
ये अजब-गजब आइडिया वाला कैफे भारत के छत्तीसगढ़ में है, जिसे गार्बेज कैफे के नाम से जाना जाता है। छत्तीसगढ़ में अंबिकापुर शहर में स्थित गार्बेज कैफे लोगों को मुफ्त में खाना देता है। हालांकि, इसके लिए प्लास्टिक का कचरा देना होगा जिसके बाद नाश्ता और खाना मिलता है।

कारगर है गार्बेज कैफे का फॉर्मूला
More The Waste Better The Taste इस गार्बेज कैफे की थीम है. इसका मतबल होता है जितना अधिक कचरा होगा, स्वाद उतना ही बेहतर होगा यानि कि आप जितना रद्दी और कचरा लाओगे उतना टेस्टी खाना पाओगे. इस गार्बेज कैफे में खाने या नाश्ते के लिए पैसे नहीं देने पड़ते हैं. पैसे की जगह यहां प्लास्टिक वेस्ट यानि की प्लास्टिक वाला कूड़ा देना पड़ता है. एक किलो प्लास्टिक में खाना और आधा किलो प्लास्टिक में नास्ता दिया जाता है. इस कैफे वाली स्कीम से बीते पांच साल में अंबिकापुर शहर में प्रदूषण के स्तर में बेहद कमी देखने को मिल रही है. कचरे में भी कमी आई है. लोगों के अंदर भी जागरुकता आई है कि वह प्लास्टिक की चीजों का कम से कम इस्तेमाल करें, खासकर पॉलिथीन का उपयोग कम करें. इससे पर्यावरण को गंभीर खतरा है.

सफाई अभियान के तहत शुरू हुआ कैफे
प्लास्टिक कचरा देकर खाना खिलाने की वजह सफाई अभियान से जुड़ी हुई है। नगर निगम ने इस पहल को सफाई करने के लिहाज से शुरू किया है। शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए अंबिकापुर में ये कैफे है। छत्तीसगढ़ में सफाई के मामले में इंदौर और अंबिकापुर शहर का नाम सबसे पहले आता है।

40 से 100 रुपये की कीमत के बीच मिलता है खाना

  • प्लेन थाली की कीमत 40 रुपये है। इसमें सादी सब्जी, चावल, दाल, अचार और सलाद मिलता है।
  • एक प्लेन थाली की कीमत 50 रुपये है जिसमें दो सादी सब्जी, 4 रोटी, दाल, चावल, सलाद, पापड़ और अचार होता है।
  • एक थाली की कीमत 70 रुपये है, जिसमें पनीर की सब्जी होती है। इसके अलावा दो सब्जी और होती है। बाकी चावल, दाल, अचार और सलाद होता है।
  • एक स्पेशल थाली है जिसकी कीमत 100 रुपये है। इसमें पनीर की सब्जी दो तरह की होती है। एक सादी सब्जी होती है। इसके अलावा घी लगी 4 रोटी, हाफ जीरा राइस, फ्राई दाल, मीठी दही, पापड़, अचार और सलाद मिलता है।

अन्य शहरों में भी शुरू हुआ प्रयोग
देश के कई शहरों में बेघर लोगों को खाना और रहने की जगह उपलब्ध कराने के हिसाब से यह पहल की जा रही है। छत्तीसगढ़ के इस अभियान के तहत नगर निगम ने गरीब लोगों को रहने और खाने की सुविधा उपलब्ध कराई थी। दिल्ली की साउथ एमसीडी भी इस तरह की योजना पर काम कर रही थी। यहां एक किलो प्लास्टिक वेस्ट देने पर फुल प्लेट थाली और आधा किलो प्लास्टिक देने पर नाश्ता दिया जा रहा है। प्रयोग के तौर पर शुरुआत में एक या दो जगहों पर कैफे खोले गए हैं।

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