UP में चमकेगा एक और भतीजा… BSP के मीटिंग में पहली बार दिखें ईशान
UP Politics: मायावती के जन्मदिन पर उनके भतीजे ईशान आनंद की मौजूदगी ने राजनीतिक सरगर्मियां तेज कर दी हैं. लंदन से लॉ ग्रेजुएट ईशान फिलहाल पारिवारिक व्यवसाय संभाल रहे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि 2027 में मायावती उन्हें राजनीति में उतार सकती हैं।
दूसरी ओर सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या मायावती ने आकाश आनंद को किनारे करने का मन बना लिया है? क्योंकि आकाश आनंद को मायावती ने जीस जिम्मेदारी के साथ सियासी मैदान में उतारा था, वह उस पर पूरी तरह खरे नहीं उतर पाए. यहां तक कि जो जनाधार मायावती के पास था वो भी धीरे-धीरे खिसक गया.
जन्मदिन पर मायावती ने करवाया ईशान का परिचय
दरअसल, 15 जनवरी को मायावती के जन्मदिन के मौके पर भतीजे आकाश आनंद के साथ उनके छोटे भाई ईशान भी मौजूद थे. पहले तो लोगों ने इस बात पर गौर नहीं किया, लेकिन ईशान आनंद का परिचय करवाया तो अटकलें शुरू हो गई. मायावती ने कहा कि ये ईशान आनद हैं दिल्ली से पढ़कर लौटे हैं और फिलहाल पिता के कारोबार में हाथ बंटा रहे हैं. ईशान आनंद लंदन से लॉ की पढ़ाई करके लौटे हैं. ईशान आनंद के पॉलिटिक्स में उतरने की अटकलें इस लिए भी लगाई जा रही है, क्योंकि ठीक इसी तरह मायावती ने आकाश आनंद को लॉन्च किया था.
बड़े भाई आकाश पहले ही राजनीति में
ईशान बसपा सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। आनंद कुमार के बड़े बेटे आकाश आनंद पहले से ही राजनीति में सक्रिय हैं। ईशान आनंद कुमार की उम्र 26 साल है और उन्होंने लंदन से लीगल स्टडीज में अपनी पढ़ाई पूरी की है। यह कदम बीएसपी में उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। ईशान आनंद के पॉलिटिक्स में उतरने की अटकलें इस लिए भी लगाई जा रही है, क्योंकि ठीक इसी तरह मायावती ने आकाश आनंद को लॉन्च किया था.
BSP के लिए चैलेंजिंग रहे हैं पिछले कुछ चुनाव
बता दें कि बीएसपी के लिए पिछले कुछ चुनाव चुनौतीपूर्ण रहे हैं। 2007 में मायावती ने यूपी में बहुमत की सरकार बनाई थी, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन काफी खराब रहा। उस चुनाव में पार्टी का केवल एक विधायक ही जीत सका। इसी तरह, लोकसभा चुनाव में भी बीएसपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली, जबकि वोट शेयर घटकर 9.38 प्रतिशत रह गया। हालांकि, मायावती ने 2019 में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था, जिसके परिणामस्वरूप 10 सांसदों को जीत मिली थी।
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