Mahakumbh 2025: मौनी अमावस्या पर होगा दूसरा अमृत स्नान, जानें इस दिन का महत्व

Mahakumbh 2025: मौनी अमावस्या का पर्व इस बार 29 जनवरी को मनाया जाएगा। इस अमावस्या को माघ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मौनी अमावस्या का पर्व 29 जनवरी को मनाया जाएगा।

Mahakumbh 2025: महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो चुका है और रोजाना करीब लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए पहुंच रहे हैं। इस मेले में अमृत स्नान यानी की शाही स्नान का विशेष महत्व है। पहला अमृत स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन संपन्न हुआ था, जिसमें लगभग 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। अब दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी 2025 को होने जा रहा है, जो मौनी अमावस्या के दिन पड़ेगा। हिंदू धर्म में इस दिन का महत्व बहुत ज्यादा है। ऐसे में आइए जानते हैं इसका महत्व और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त।

मौनी अमावस्या पर महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान

महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर था। इसके बाद महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या पर है। अमृत स्नान को अत्यधिक पुण्यदायक माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ के अमृत स्नान के समय में गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना बेहद ही शुभ रहता है। जो व्यक्ति इस समय गंगा स्नान या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7.32 बजे शुरू होगी और 29 जनवरी की शाम 6.05 बजे खत्म होगी।

मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी अमावस्या को माघी या माघ अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन का खास महत्व है, क्योंकि इस दिन लोग मौन व्रत रखते हैं और पितरों का तर्पण करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत रखने से कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में खुशहाली आती है। इतना ही नहीं, इस दिन पितृ को तर्पण और दान करने से ग्रह दोषों से भी मुक्ति मिलती है।

महाकुंभ का अंतिम अमृत स्नान बसंत पंचमी पर होगा। इस साल पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू हो रही है जो 3 फरवरी को 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी 3 फरवरी को मनाई जाएगी। महाकुंभ का तीसरा और अंतिम अमृत स्नान भी बसंत पंचमी पर ही होगा।

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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