WFI Election: पद्मश्री लौटाएंगे बजरंग पुनिया, पीएम मोदी को पत्र लिखकर किया ऐलान
WFI News: भारतीय कुश्ती महासंघ के नए अध्यक्ष का चुनाव हो गया है। बृज भूषण सिंह के करीब संजय सिंह को यह पद मिला है। इसके बाद से उनके खिलाफ प्रदर्शन करने वाले रेसलर नाराज हैं। साक्षी मलिक ने संन्यास का ऐलान कर दिया था। अब बजरंग पूनिया ने अपना पद्म अवॉर्ड वापस लौटने का फैसला किया है।
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का नया अध्यक्ष संजय सिंह को बनाए जाने से नाराज ओलंपिक मेडलिस्ट बजरंग पूनिया ने अपनी मांगे न सुने जाने के कारण भारत के बड़े सम्मानों में से एक ‘पद्मश्री’ पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया है.
संजय सिंह को भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बने अभी 24 घंटे का ही समय हुआ है। उन्हें कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह का करीबी माना जाता है। इससे बृज भूषण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवान निराश हैं। संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के कुछ ही घंटों में साक्षी मलिक ने संन्यास का ऐलान कर दिया था।
अब ओलिंपिक मेडल विजेता बजरंग पूनिया ने अपना पद्म श्री अवॉर्ड लौटने का फैसला किया है। जनवरी में बजरंग, साक्षी और विनेश फोगाट की अगुवाई में पहलवान ने बृज भूषण सिंह के खिलाफ धरना शुरू किया था। उनपर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।
आपको बता दें कि भारतीय पहलवान और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने पीएम मोदी के नाम एक लंबा चौड़ा पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने अपनी मांगे न सुनी जाने के कारण पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की बात कही है.
पूनिया ने लिखा, ‘प्रिय पीएम जी, आशा है कि आपका स्वास्थ्य ठीक है। आप कई कामों में व्यस्त होंगे लेकिन मैं देश के पहलवानों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए यह लिख रहा हूं। आप जानते होंगे कि देश की महिला पहलवानों ने जनवरी में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था इस साल बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया। मैं भी उनके विरोध में शामिल हुआ। सरकार द्वारा कड़ी कार्रवाई का वादा करने के बाद विरोध बंद हो गया।’
बजरंग पूनिया ने आगे लिखा, ‘लेकिन तीन महीने बाद भी बृजभूषण के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं हुई। हम अप्रैल में फिर से सड़कों पर उतरे ताकि पुलिस कम से कम उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करे। जनवरी में 19 शिकायतकर्ता थे लेकिन अप्रैल तक यह संख्या घटकर 7 रह गई।’ इसका मतलब है कि बृजभूषण ने 12 महिला पहलवानों पर अपना प्रभाव डाला।’ पूनिया ने आगे कहा कि, ‘हमारा विरोध 40 दिनों तक चला। उन दिनों हम पर बहुत दबाव था, हम अपने पदक गंगा नदी में विसर्जित करने गए थे। तब हमें किसान नेताओं ने रोक दिया था। उस समय आपके कैबिनेट के एक जिम्मेदार मंत्री ने फोन किया था और हमें न्याय का आश्वासन दिया। इस बीच, हम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले, जिन्होंने भी हमें न्याय का वादा किया। हमने अपना विरोध बंद कर दिया।’ उन्होंने आगे कहा कि, ‘लेकिन 21 दिसंबर को डब्ल्यूएफआई के चुनाव में महासंघ एक बार फिर बृजभूषण के अधीन आ गया। उन्होंने खुद कहा था कि वह हमेशा की तरह महासंघ पर हावी रहेंगे। भारी दबाव में आकर साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा कर दी।’
पूनिया ने आगे लिखा है, ‘साल 2019 में मुझे पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। जब ये सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ, लगा था कि जीवन सफल हो गया, लेकिन आज उससे कहीं ज्यादा दुखी हूं और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं। कारण सिर्फ एक ही है, जिस कुश्ती के लिए ये सम्मान मिले उसमें हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती तक छोड़नी पड़ रही है। जिन बेटियों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंबेसडर बनना था उनको इस हाल में पहुंचा दिया गया कि उनको अपने खेल से ही पीछे हटना पड़ा। हम “सम्मानित” पहलवान कुछ नहीं कर सके। महिला पहलवानों को अपमानित किए जाने के बाद मैं ‘सम्मानित’ बनकर अपनी जिंदगी नहीं जी पाउंगा. ऐसी जिंदगी कचोटेगी ताउम्र मुझे, इसलिए ये “सम्मान” मैं आपको लौटा रहा हूं।’