बच्चों के लिए Social Media इस्तेमाल बैन…ऑस्ट्रेलिया के पहल पर क्या है अन्य देशों का रुख

आज की डिजिटल दुनिया में बच्चे कम उम्र में ही इंटरनेट का इस्तेमाल करना शुरू कर दे रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में हर आधे सेकेंड में कोई न कोई बच्चा पहली बार ऑनलाइन दुनिया में दाखिल होता है. मगर यह ऑनलाइन क्रांति अपने साथ कई गंभीर चुनौती भी लेकर आई है.

विशेषज्ञ की माने तो सोशल मीडिया का इस्तेमाल एक हद तक पहुंच जाए, तो यह न केवल मानसिक सेहत बल्कि शारीरिक समस्याओं का भी कारण बन सकता है. यही वजह है कि दुनियाभर में सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारियों को बढ़ाने की मांग जोर पकड़ रही है. खासतौर पर बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा पर फोकस करते हुए कई देश नए कानून बना रहे हैं.

शायद यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 16 साल तक के बच्चों लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है. इसके लिए ऑस्ट्रेलिया की संसद ने दी सोशल मीडिया मिनिमम एज बिल को मंजूरी दी है. इस कानून को अगले साल से लागू किया जाना है.

कानून में क्या हैं प्रावधान?
दी सोशल मीडिया मिनिमम एज बिल को ऑस्ट्रेलियाई संसद की सीनेट ने गुरुवार को 34 बनाम 19 मतों से पारित कियाय यह बिल बुधवार को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में 102 बनाम 13 के बहुमत से पारित हुआ था. इस कानून में प्रावधान है कि अगर 16 साल से कम उम्र का कोई बच्चा फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स जैसी साइट्स पर अकाउंट बनता है तो इसके लिए प्लेटफार्म को ही जिम्मेदार माना जाएगा.किशोरों को अकाउंट बनाने से रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाने और नियमों का पालन न करने पर उन पर करीब पांच करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

नियम के विरुद्ध जाने पर भरना होगा जुर्माना
सोशल मीडिया तक 16 साल तक के बच्चों की पहुंच रोकने के उपाय करने के लिए तकनीकी कंपनियों को एक साल का समय दिया गया है. इसका उल्लंघन करने पर सोशल मीडिया पर करीब पांच करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का जुर्माना लगाया जा सकता है. तकनीकी कंपनियों ने इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया है. हालांकि कुछ प्लेटफार्म को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है.

क्या है टेक कंपनियों का रुख?
पाबंली लगाने से पहले एक संसदीय जांच में उन अभिभावकों ने अपने बयान दर्ज कराई जिनके बच्चों ने सोशल मीडिया बुलिंग से परेशान होकर खुद को नुकसान पहुंचा लिया था. इस बिल को ऑस्ट्रेलिया की मीडिया का भी समर्थन हासिल था.

इस कानून के साथ ऑस्ट्रेलिया के तकनीकी कंपनियों से संबंध खराब भी हो सकते हैं, खासकर अमेरिकी कंपनियों से. दुनिया में सोशल मीडिया की सबसे बड़ी और मशहूर सोशल मीडिया कंपनियां अमेरिका की है. ट्वीटर के मालिक एलॉन मस्क भी अमेरिका के हैं. वो देश के अगली सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं. यहां यह भी जान लेना जरूरी है कि ऑस्ट्रेलिया ऐसा पहला देश था, जिसने सोशल मीडिया कंपनियों को मीडिया कंपनियों को रॉयल्टी देने का आदेश दिया था, क्योंकि वे उनका कंटेंट शेयर करती हैं.

इस दिशा में क्या कर रहे हैं दूसरे देश?
अमेरिका: अमेरिका ने तो बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए 26 साल पहले ही कानून बना दिया था. इस कानून का नाम है- “चिल्ड्रन ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट. इसके तहत 13 साल से कम उम्र के बच्चों से जानकारी जमा करने से पहले वेबसाइटों को माता-पिता की परमिशन लेनी पड़ती है.

वहीं 2000 में, “चिल्ड्रन इंटरनेट प्रोटेक्शन एक्ट के तहत स्कूलों और लाइब्रेरी में बच्चों को गैर-जरूरी कंटेंट से बचाने के लिए इंटरनेट फिल्टर लगाना अनिवार्य कर दिया गया. हालांकि कानूनों पर यह आलोचना हुई है कि यह बच्चों के बीच उम्र के इस्तेमाल में धोखाधड़ी को बढ़ावा देते हैं, उनकी जानकारी और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकारों को सीमित करते हैं.

ब्रिटेन: ऑस्ट्रेलिया के नक्शे कदम पर चलते हुए, ब्रिटिश सरकार भी 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन पर विचार कर रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार , ब्रिटेन के टेक्नोलॉजी सेक्रेटरी पीटर काइल का कहना है कि वह ऑनलाइन सुरक्षा तय करने के लिए जो भी करना होगा, करेंगे, खासतौर पर बच्चों के लिए.

फ्रांस: इस देश ने स्कूलों में 15 साल तक के बच्चों के लिए मोबाइल फोन पर बैन लगाने का ट्रायल शुरू किया है. अगर ये ट्रायल सफल होता है तो पूरे देश में लागू किया जा सकता है. यही नहीं फ्रांस में ये भी कानून है कि 15 साल से कम उम्र के बच्चें माता पिता की अनुमति के बिना सोशल मीडिया इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. वहीं नॉर्वे जैस यूरोपीय देश ने भी हाल ही में एलान किया कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल की उम्र सीमा को 13 से बढ़ाकर 15 वर्ष किया जाएगा.

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