पीएम मोदी पहुचें बिहार, 1600 साल पुरानी नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का करेंगे उद्घाटन

Nalanda University Inauguration: प्रधानमंत्री बनने के बाद आज नरेंद्र मोदी आज एक बार फिर से बिहार पहुंचे हैं। पांचवीं सदी में बने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में करीब 10 हजार छात्र पढ़ते थे, जिनके लिए 1500 अध्यापक हुआ करते थे. 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों ने इस विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया था. अब इस प्राचीन विश्वविद्यालय का नया कैंपस बनकर तैयार हुआ है, जिसका उद्घघाटन आज भारत के प्रधानमंत्री करने जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय में पहुंच गए हैं। उन्होंने खंडहरों का निरीक्षण किया। थोड़ी देर में वह नए परिसर का उद्घाटन करेंगे। यहां पहुंचकर पीएम मोदी ने सबसे पहले प्राचीन नालंदा यूनिवर्सिटी की धरोहर (अवशेष) को देखा है। अब कुछ ही देर में वह नए कैंपस का उद्घाटन करेंगे। कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ ही 17 देशों के राजदूत भी शामिल हो रहे हैं। बता दें कि साल 2016 में नालंदा के खंडहरों को संयुक्त राष्ट्र विरासत स्थल घोषित किया गया था, इसके बाद विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य 2017 में शुरू किया गया।

दो अकेडमिक ब्लॉक में 1900 बच्चों के बैठने की व्यवस्था

नालंदा यूनिवर्सिटी में दो अकेडमिक ब्लॉक हैं, जिनमें 40 क्लासरूम हैं। यहां पर कुल 1900 बच्चों के बैठने की व्यवस्था है. यूनिवर्सिटी में दो ऑडिटोरयम भी हैं जिसमें 300 सीटे हैं। इसके अलावा इंटरनेशनल सेंटर और एम्फीथिएटर भी बनाया गया है, जहां 2 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है। यही नहीं, छात्रों के लिए फैकल्टी क्लब और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स सहित कई अन्य सुविधाए भी हैं। नालंदा यूनिवर्सिटी का कैंपस ‘NET ZERO’ कैंपस हैं, इसका मतलब है कि यहां पर्यावरण अनुकूल के एक्टिविटी और शिक्षा होती है। कैंपस में पानी को रि-साइकल करने के लिए प्लांट लगाया गया है, 100 एकड़ की वॉटर बॉडीज के साथ-साथ कई सुविधाएं पर्यावरण के अनुकूल हैं।

नालंदा यूनिवर्सिटी का इतिहास काफी पुराना है। लगभग 1600 साल पहले इस यूनिवर्सिटी की स्थापना पांचवी सदी में हुई थी। जब देश में नालंदा यूनिवर्सिटी बनाई गई तो दुनियाभर के छात्रों के लिए यह आर्कषण का केंद्र था। विशेषज्ञों के मुताबिक 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों ने इस विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया था। इससे पहले करीबन 800 सालों तक इन प्राचीन विद्यालय ने ना जाने कितने छात्रों को शिक्षा दी है।

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