महंगाई और सब्जियों के बढ़ते भाव; बिगाड़ रहा घर का जायका…

Vegetable Inflation: भारत में महंगाई दर के लगातार बढ़ने का सिलसिला जारी है। राजनीतिक गलियारों से लेकर वित्तीय संस्थानों में चिंता का माहौल बनता देखा जा रहा है। खाद्य महंगाई परेशान कर रहा है।

Vegetable Inflation: देश में महंगाई की आंच ने टमाटर के साथ कुछ अन्य सब्जियों को इतना सुर्ख कर दिया है कि इनका जायका लेने पर जेब से धुआं निकलने लगा है। ग्राहक मोलभाव करते हुए कम से कम मात्रा में सब्जियां खरीद रहे हैं। उतार-चढ़ाव के कारण बिक्री कम हो गई है।देश में खाने-पीने के सामान खासकर सब्जियों के दाम में जोरदार उछाल से महंगाई दर में इजाफा दर्ज किया गया।

अक्टूबर के महीने में खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक के तय 6 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर चली गई थी। अक्टूबर में रिटेल महंगाई दर 6.21 फीसदी पर जा पहुंची है जो इसका 14 महीने का उच्च स्तर है. अगस्त 2023 के बाद ये पहली बार है जब खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टॉलरेंस लेवल के पार चली गई है।

कितनी ऊंचाई पर जा पहुंचे सब्जियों के दाम

अक्टूबर में सब्जियों की महंगाई दर 15 महीने के उच्च स्तर 10.87 फीसदी पर चली गई है. इसमें भी खास तौर पर TOP यानी टमाटर, आलू और प्याज के दाम में सबसे ज्यादा इजाफा दर्ज किया गया है. 

  • इस साल टमाटर के दामों में 161 फीसदी का उछाल देखा जा चुका है.
  • आलू के दामों में सालाना आधार पर 65 फीसदी का उछाल देखा जा चुका है.
  • प्याज के रेट में इस साल 52 फीसदी तक का उछाल आ चुका है.
  • गोभी की कीमतों में 21 फीसदी की दर साल की शुरुआत में थी जो बढ़कर 31 फीसदी तक जा पहुंची है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्जियों की कीमतों का कुल थाली लागत में 40 प्रतिशत भारांश होता है और इसलिए उतार-चढ़ाव ने कुल लागत को प्रभावित किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि शाकाहारी थाली में 11 प्रतिशत भार वाली दालों की कीमतों में इस महीने के दौरान 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसका कारण शुरुआती स्टॉक में कमी, स्टॉक पाइपलाइन में कमी और त्योहारी मांग का होना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नई आवक के कारण दिसंबर से कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ईंधन की लागत में सालाना आधार पर 11 प्रतिशत की गिरावट ने भोजन की लागत में उछाल को रोकने में मदद की

RBI के सामने भी चुनौतियां

इस समय सब्जियों में खास तौर पर आलू-प्याज, टमाटर के दाम में जोरदार बढ़ोतरी के बाद नई बहस भी जमकर हो रही है. देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई के गवर्नर के सामने चुनौती है कि वो दिसंबर में होने वाली रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी में ब्याज दरों में कटौती करें जो कि इस साल समान स्तर पर बरकरार हैं. 

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