Breaking news: केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, CAA पर रोक लगाने से इनकार

CAA: केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने के लिए 237 याचिकाएं दायर की गईं थी। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सीएए पर किसी भी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से नागरिकता कानून पर तीन हफ्ते में जवाब तलब किया है।

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नागरिकता संशोधन कानून 2019 (CAA) मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉल‍िस‍िटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। इस पर याचिकाकर्ताओं की तरफ से इंदिरा जयसिंह ने दलील दी क‍ि इस कानून पर रोक लगाई जाए और इस मामले को बड़ी बेंच के सामने भेजा जाएसुनवाई के दौरान सीजेआई ने सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि नोटिफिकेशन पर रोक की मांग वाली याचिका पर जवाब देने के लिए उनको कितना समय चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद केन्‍द्र सरकार को राहत दी है। CAA नोटिफिकेशन पर फिलहाल रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर द‍िया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है क‍ि वह 9 अप्रैल को मामले की सुनवाई करेंगे। तब तक 3 हफ्ते के भीतर केन्‍द्र सरकार को जवाब देना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 236 याचिकाओं में से कितने मामले में हमने नोटिस जारी किया है? हम बाकी याचिकाओं पर भी नोटिस जारी कर तारीख दे देते हैं। कोर्ट ने कहा क‍ि सरकार ने नोटिफिकेशन पर रोक की मांग वाली याचिका पर जवाब देने का समय मांगा है ऐसे में उन्हें समय देना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा कि उस स्थिति में नोटिफिकेशन के लागू होने पर रोक लगाई जानी चाहिए।

CAA पर कप‍िल स‍िब्‍बल की दलील 

कोर्ट ने पूछा कि केन्द्र सरकार कब तक जवाब दाखिल करेगी। इस पर सॉल‍िस‍िटर जनरल ने कहा क‍ि चार हफ्ते में जवाब दाख‍िल करेंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि नोटिफिकेशन 4 साल 3 महीने बाद जारी हुआ हैं। अगर नागरिकता देना शुरू हुआ तो उसे वापस लेना संभव नहीं होगा। ऐसे में नोटिफिकेशन पर रोक लगाई जाए।

केंद्र ने कोर्ट से मांगा समय

केंद्र सरकार ने नागरिकता नियम- 2024 के लागू होने पर रोक वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ से कहा कि उन्हें 20 आवेदनों पर जवाब देने के लिए कुछ समय चाहिए। तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि सीएए किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता। इससे देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी।

याचिकाकर्ताओं का क्या है तर्क

सीएए को लेकर याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करता है. उनका तर्क है कि इस कानून के तहत मुसलमानों को धार्मिक आधार पर अलग किया गया है। गौरतलब है कि सीएए कानून लागू होने के बाद से विपक्ष समेत कई और संगठनों ने इसका जोरदार विरोध किया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सीएए के विरोध में खड़ी है। लीग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है।

बलूचिस्तान से एक व्यक्ति की तरफ से रंजित कुमार ने कहा क‍ि अगर हमें नागरिकता मिलती है तो किसी को क्या दिक्कत है? इंदिरा जय सिंह ने कहा वोटिंग का अधिकार से. सॉल‍िस‍िटर जनरल ने कहा क‍ि एनआरसी कोर्ट के समक्ष मामला नहीं है केवल CAA है. सुप्रीम कोर्ट ने केन्‍द्र सरकार से 8 अप्रैल तक जवाब मांगा है और 9 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी.

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