CAA Law: देश भर में लागू ‘नागरिकता संशोधन कानून’, केरल और बंगाल में बदलाव?

Citizenship Amendment Act: नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA को देशभर में लागू कर दिया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता एवं संविधान मामलों के विशेषज्ञ संजय पारीख ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA केंद्रीय कानून है। ऐसे में राज्य कानूनी तौर पर इसे लागू करने से मना नहीं कर सकते हैं।

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नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 (Citizenship Amendment Act) को देशभर में लागू हो गया है और इससे जुड़े नियम भी अधिसूचित कर दिए गए हैं। इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। लेकिन देश में ऐसे भी कई राज्य हैं, जो CAA के दायरे से बाहर रहेंगे। पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू नहीं किया जाएगा, जिनमें संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्र भी शामिल हैं। बता दें कि CCA कानून सोमवार को लागू किया गया।

लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) नियमों की अधिसूचना जारी होना केंद्र सरकार का बड़ा फैसला है। CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून को देशभर में लागू कर दिया गया है। इसके साथ ही एक बार फिर सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है। एक ओर जहां केरल सरकार ने साफ कर दिया है कि इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। वहीं, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी लंबे समय से इसका विरोध करती रही हैं। सवाल है कि क्या केंद्र के कानून के खिलाफ राज्य क्या कदम उठा सकते हैं।

अमित शाह ने एक्स पर किया पोस्ट

गृहमंत्री ने अपने पोस्ट में लिखा, “मोदी सरकार ने आज नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित कर दिया। ये नियम अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को हमारे देश में नागरिकता प्राप्त करने में सक्षम बनाएंगे इस अधिसूचना के साथ पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है और उन देशों में रहने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए हमारे संविधान निर्माताओं के वादे को साकार किया है।”
भारतीय नागरिकता के लिए लड़ी लड़ाई

बंगाल में मतुआ शरणार्थी मुख्य रूप से बांग्लादेश की सीमा से लगे उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, नदिया, जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी, कूचबिहार के अलावा पूर्व व पश्चिम बद्र्धमान जिले में फैले हुए हैं। देश विभाजन के बाद बाद हरिचंद-गुरुचंद ठाकुर के वंशज प्रमथा रंजन ठाकुर और उनकी पत्नी वीणापाणि देवी उर्फ बड़ो मां ने मतुआ महासंघ की क्षत्रछाया में राज्य में मतुआ समुदाय को एकजुट किया और उन्हें भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए कई आंदोलन किए।

अब बात करते हैं कि आखिर ये CAA है क्या ?

हर देश की तरह ही हमारे देश का भी एक नागरिकता कानून है। ये कानून 1955 से लागू है, अब हुआ ये कि 2019 में मोदी सरकार ने इस नागरिकता कानून 1955 में बदलाव किए और बदलाव के बाद ये बन गया नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 यानि CAAA 2019। नाम में संशोधन जोड़ा गया, मतलब कि इस कानून में बड़े बदलाव भी हुए।

11 दिसंबर, 2019 को इसे संसद में पारित किया गया था। बदलाव के बाद इस कानून में जोड़ा गया कि 31 दिसंबर 2014 से पहले या उस तक पड़ोसी मुस्लिम बहुसंख्यक देश- जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत भाग कर आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

गृहमंत्री अमित शाह ने किया था ऐलान

गृहमंत्री अमित शाह कई मौकों पर सीएए को लागू करने की बात भी कर चुके हैं। नागरिकता संशोधन कानून के अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-हिंदुओं को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। सीएए के तहत इन देशों से आए हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान शामिल है।

नागरिकता पाने के लिए क्या है जरूरी?

इस कानून से उन्हें खुदबखुद नागरिकता नहीं मिलेगी, बल्कि वे सिर्फ इसके जरिए आवेदन कर पाएंगे।

– उन्हें दिखाना होगा कि वे पांच साल तक भारत में रहे हैं।

– उन्हें यह साबित करना होगा कि वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हैं।

– यह साबित करना होगा कि वे धार्मिक उत्पीड़न के कारण अपने देशों से भाग गए हैं।

– वे संविधान की आठवीं अनुसूची की भाषाएं बोलते हैं

– नागरिक संहिता 1955 की तीसरी अनुसूची की जरूरतों को पूरा करते हैं।

इसके जरिए ये लोग भारतीय नागरिकता के लिए सिर्फ आवेदन करने के पात्र होंगे। इसके बाद यह भारत सरकार पर निर्भर करेगा कि वो उन्हें नागरिकता देती है या नहीं।

बंगाल में मतुआ समुदाय को ज्यादा लाभ

सीएए (CAA) का सबसे ज्यादा लाभ बंगाल में मतुआ समुदाय (Matua community) को ही होने वाला है। भारत के विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से बड़ी संख्या में हिंदु मतुआ शरणार्थी बंगाल आ गए थे। ये ऐसे शरणार्थी हैं जिन्हें आजतक भारतीय नागरिकता नहीं मिल पाई है। कई दशकों से ये लोग भारतीय नागरिकता की लगातार मांग कर रहे थे जो अब पूरी होनी वाली है।

केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू करने की अधिसूचना जारी करने के बाद से बंगाल में मतुआ समुदाय (Matua community) के लोगों में खुशी की लहर है। शाम में सीएए अधिसूचना जारी होने की खबर सामने आते ही समुदाय के लोगों ने उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में जश्न मनाया, जहां मतुआ महासंघ का मुख्यालय व प्रमुख मंदिर है।

CAA को लेकर क्या है सरकार का पक्ष?

इस कानून को लेकर फैले भ्रम को भी सरकार ने साफ किया और बताया कि CAA के तहत तीन पड़ोसी देशों से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी, न कि किसी की मौजूदा नागरिकता छीन ली जाएगी।

खुद गृह मंत्री ने इसे लेकर कहा,”हमारे मुस्लिम भाइयों को CAA के मुद्दे पर भड़काया जा रहा है। CAA के जरिए किसी की नागरिकता नहीं छीनी जा सकती है,क्योंकि इस कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। ये उन लोगों को नागरिकता देने के लिए बनाया गया है, जो बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का सामना करके आए हैं। इसलिए इस कानून का किसी को विरोध नहीं करना चाहिए।”

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