सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने नेपाल को चीन से किया आगाह

नई दिल्ली। देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने गत दिवस चीन के साथ रिश्तों को लेकर इशारों-इशारों में नेपाल को आगाह किया।
उन्होंने नेपाल को सलाह दी कि वह अंतरराष्ट्रीय मामलों में स्वतंत्र तौर पर कार्य कर सकता है। उसे इस मामले में श्रीलंका व अन्य देशों से सबक लेना चाहिए।
दरअसल, चीनी कंपनियां पड़ोसी व अन्य देशों में पहले अरबों डॉलर की परियोजनाएं लागू करती हैं और बदले में उनसे कर्ज अदायगी के समझौते कर लेती हैं।
जब ये देश कर्ज चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं तो उन प्रोजेक्टों के जरिए चीन वहां कब्जा जमाने व उन देशों को दबाव में लेने की कोशिश करता है।
सीडीएस जनरल रावत ने चीन की वित्तीय संस्थानों की ओर इशारा किया था। ये संस्थान गुपचुप ढंग से अरबों डॉलर का कर्ज मुहैया कराते हैं और जिनका रणनीतिक लाभ उठाने में इस्तेमाल किया जाता है।
नेपाल के एक थिंक टैंक की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान जनरल रावत ने दिल्ली और काठमांडू के बीच गहरे और व्यापक संबंधों को उजागर किया था।
भारत के सीडीएस ने नेपाल पर निशाना साधते हुए कहा था कि नेपाल अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के आधार पर चीन समेत दूसरे देशों के लिए खुल रहा है।
जनरल रावत ने कहा कि नेपाल अंतरराष्ट्रीय मामलों में स्वतंत्र तौर पर कार्य कर सकता है, लेकिन उसे सतर्क रहना चाहिए और श्रीलंका और दूसरे देशों से सबक लेना चाहिए।
श्रीलंका में चीन ने बंदरगाह ले लिया
श्रीलंका ने चीनी कंपनियों से लिए कर्ज को ना चुका पाने की जद्दोजहद में अपना हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल की लीज पर चीन को सौंपना पड़ा। श्रीलंका अकेला ऐसा देश नहीं है।
चीन ने दक्षिण एशियाई देशों को 31 अरब डॉलर का कर्ज दिया हुआ है, जिसमें पाकिस्तान, मालद्वीप, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल शामिल हैं।
