Chhath Puja 2023: छठ पूजा महापर्व पर नारंगी सिंदूर ही क्यों, नाक से मांग तक सिंदूर की कहानी

रामायण और महाभारत के काल से चले आ रहे लोक आस्था के महापर्व छठ को अब तो ग्लोबली पहचान मिल चुकी है. इस महापर्व को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. पूजा के दौरान महिलाएं एक विशेष प्रकार का सिंदूर लगाती हैं जो कि इस महापर्व का अहम अंग माना जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि महिलाएम ऐसा क्यों करती हैं?

इमेज क्रेडिट : सोशल मीडिया

छठ पूजा का महापर्व नहाय खाय से शुरू हो चुका है. मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाने वाला यह त्योहार, अब देश के कई राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाने लगा है. छठ पूजा के दूसरे दिन खरना में महिलाएं गुड़ और चावल की खीर खाने के बाद 36 घंटों तक निर्जला व्रत करती हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार छठ का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. छठ पूजा के दौरान महिलाएं एक विशेष प्रकार का सिंदूर लगाती हैं, जो कि इस महापर्व का अहम अंग माना जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि महिला ऐसा क्यों करती हैं और इसे लेकर आपके मन में जिज्ञासा होती होगी कि आखिर नाक से क्यों लगाया जाता है यह सिंदूर?

हिंदू मान्यता में सिंदूर सुहाग का प्रतीक होता है, वैसे तो महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए मांग में सिंदूर लगाती हैं, लेकिन छठ पूजा के दिन नाक से सिंदूर लगाने की प्रथा काफी पुरानी है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए मांग में नारंगी सिंदूर लगाती हैं. यह भी मान्यता है कि लंबा सिंदूर लगाना परिवार में सुख संपन्नता का प्रतीक होता है और इस दिन लंबा सिंदूर लगाने से घर परिवार में खुशहाली आती है. आम भाषा में इस सिंदूर को भखरा सिंदूर भी कहते हैं.

लंबे सिंदूर के पीछे क्या है पौराणिक कथा?
पौराणिक कथाओं की मानें तो जब भगवान हनुमान को पता चला कि श्रीराम द्वारा सीता सिंदूर लगाए जाने पर प्रसन्न होते हैं, तो उन्होंने अपना सारा शरीर ही नारंगी सिंदूर से रंग लिया. इसी तरह अपने आप को सिंदूर से रंगकर वो श्रीराम की सभा में उनके प्रति अपना समर्पण दिखाना चाहते थे. सिंदूर दान के समय इस नारंगी सिंदूर का इस्तेमाल पति पत्नी में एक दूसरे के प्रति समर्पण को दर्शाता है.

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन अगर कोई महिला नाक से सिर तक लंबा सिंदूर लगाती है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पति का उम्र में वृद्धि होती है. इस दिन सूर्य देव की पूजा के साथ महिलाएं अपने पति और संतान के सुख, शांति और लंबी आयु की कामना करते हुए अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूरा करती हैं. महिलाएं इस सिंदूर का इस्तेमाल खुद के लिए करती हैं, बल्कि देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए भी इसे लगाती हैं.

पौराणिक कथाओं में भी नारंगी सिंदूर का जिक्र मिलता है.
बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में सुहागिनों को नारंगी सिंदूर लगाने की मान्यता है. महिलाओं के अलावा इन राज्यों में देवियों को भी नारंगी सिंदूर लगाया जाता है. कहा जाता है कि नाक से सिर तक लंबा सिंदूर लगाने से पति का उम्र लंबी होती है और आयु लंबी होने के साथ लंबा सिंदूर पति का सफलता का भी प्रतीक है. माना जाता है कि लंबा सिंदूर लगाने से पति के कार्यक्षेत्र में भी तरक्की होती है.

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