छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती आज, अद्भुत था उनका युद्ध कौशल

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शाहजी भोंसले कुनबी मराठा की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) की कोख से शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था। शिवाजी महाराज ने साल 1674 में 44 साल की उम्र में रायगढ़ की गद्दी को संभाला था।

उनकी माता जी जीजाबाई जाधव कुल में उत्पन्न असाधारण प्रतिभाशाली महिला थी और उनके पिता एक शक्तिशाली सामंत थे। शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा। बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओं को भली प्रकार समझने लगे थे।

शासक वर्ग की करतूतों पर वे झल्लाते थे और बेचैन हो जाते थे। उनके बाल-हृदय में स्वाधीनता की लौ प्रज्ज्वलित हो गयी थी। उन्होंने कुछ स्वामिभक्त साथियों का संगठन किया। समय के साथ विदेशी शासन की बेड़ियां तोड़ फेंकने का उनका संकल्प प्रबलतर होता गया। छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह सन् 14 मई 1640 में सइबाई निंबाळकर के साथ लाल महल, पुणे में हुआ था।

राजगद्दी संभालने से पहले शिवाजी को विरासत में सिर्फ 2 हजार सैनिकों की मराठा सेना मिली थी। उसे उन्होंने 10 हजार सैनिकों की फौज में तब्दील किया था। उन्होंने गुरिल्ला युद्ध की नई तकनीकों को जन्म दिया था। इसकी मदद से उन्होंने मुगलों को कड़ी टक्कर दी थी।

1674 में रायगढ़ की गद्दी संभालने से पहले वो महज एक स्वतंत्र शासक थे। उस राज्याभिषेक के बाद ही वो छत्रपति कहलाए। शिवाजी ने तटीय सुरक्षा के लिए कई बड़े कदम उठाए थे। जो उनकी सामरिक ताकत को दिखाता है।अपने शासन में उन्होंने मराठाओं की ताकतवर नौ-सेना तैयार की थी।

छत्रपति शिवाजी महाराज देश के वीर सपूतों में से एक थे, जिन्हें ‘मराठा गौरव’ भी कहते हैं और भारतीय गणराज्य के महानायक भी। वर्ष 1674 में उन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। उन्होंने कई सालों तक मुगलों से संघर्ष किया था और उन्हें धूल चटाई थी। 

हर साल 19 फरवरी को पूरे भारत में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है। यह साल इस महान मराठा की 391वीं जयंती के रूप में मनाया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने तो इस दिन को राज्य में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। 

छत्रपति शिवाजी महाराज को उनके अद्भुत बुद्धिबल के लिए जाना जाता था। वह पहले भारतीय शासकों में से एक थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र की रक्षा के लिए नौसेना बल की अवधारणा को पेश किया था। इसके अलावा सबसे खास बात ये है कि उन्होंने अपनी बटालियन में कई मुस्लिम सैनिकों को भी नियुक्त किया था। 

छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम शिवाजी भोंसले था। वर्ष 1674 में उन्हें औपचारिक रूप से छत्रपति या मराठा साम्राज्य के सम्राट के रूप में ताज पहनाया गया।

चूंकि उस समय फारसी भाषा का ज्यादा उपयोग होता था, लेकिन इसके बजाय शिवाजी महाराज ने अदालत और प्रशासन में मराठी और संस्कृत के उपयोग को बढ़ावा देने का फैसला किया था। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button