पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों पर कोर्ट का कड़ा रुख… कहा- देश को कर रहे गुमराह

पतंजलि के विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई करते हुए रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि पतंजलि आयुर्वेद के सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापनों के जरिए पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है।

इमेज क्रेडिट: सोशल मीडिया

बीमारियों के इलाज पर भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को जमकर लताड़ा और पूछा कि आखिर कोर्ट के आदेश के बाद भी यह विज्ञापन लाने की हिम्मत कैसे हुई। कोर्ट ने कहा कि सरकार अपनी आंखें बंद करके बैठी है। ऐसे विज्ञापनों से पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है। कोर्ट ने कंपनी को अवमानना का नोटिस जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथी दवाओं और टीकाकरण के खिलाफ पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों पर नाराजगी जताते हुए कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने पतंजलि के स्वास्थ्य संबंधित विज्ञापनों पर पूरी तरह रोक लगा दी है। माने कंपनी आगे कभी इस तरह के विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर पाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि और उसके एमडी आचार्य बालकृष्ण को अवमानना ​​नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू की जाए। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा कि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

SC पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके अधिकारियों को मीडिया, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक, दोनों में किसी भी दवा प्रणाली के प्रतिकूल कोई भी बयान देने से आगाह किया, जैसा कि उन्होंने पहले अदालत के समक्ष अपने वचन में कहा था।

विज्ञापनों को जारी करने पर लगाई थी रोक

पिछले साल 21 नवंबर को, पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि अब से कानून का कोई उल्लंघन नहीं होगा, विशेष रूप से उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग से संबंधित, और पतंजलि उत्पादों की औषधीय प्रभावकारिता का दावा करने वाले या किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई आकस्मिक बयान या दवा किसी भी रूप में मीडिया को जारी नहीं की जाएगी।

पहले भी चेता चुका है सुप्रीम कोर्ट
बता दें इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि से कहा था कि वह कोई भ्रामक विज्ञापन या गलत दावा न करे। कोर्ट ने पतंजलि को चेतावनी देते हुए कहा कि भारी जुर्माना लगाया जाएगा। बता दें क‍ि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि यह गलत दावा किया जाता है कि किसी विशेष बीमारी को ठीक किया जा सकता है तो पीठ प्रत्येक उत्पाद पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने पर भी विचार कर सकती है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों से निपटने के लिए एक प्रस्ताव देने को कहा था।

‘हम सख्त आदेश पारित कर रहे’
जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा ने कहा, हम एक बहुत सख्त आदेश पारित करने जा रहे हैं। आप कैसे कह सकते हैं कि आप बीमारी को ठीक कर देंगे? हमारी चेतावनी के बावजूद आप कह रहे हैं कि हमारी चीजें रसायन आधारित दवाओं से बेहतर हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को भी इस पर एक्शन लेना चाहिए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के वकीलों से विज्ञापन देखने को कहा है। अब इस मामले में कुछ देर बाद सुनवाई होगी।

कोर्ट ने सरकार से पूछा- आपने पतंजलि पर क्या कार्रवाई की
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 के तहत क्या कार्रवाई की गई है। केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने कहा कि इस बारे में डेटा इकट्ठा किया जा रहा है। कोर्ट ने इस जवाब पर नाराजगी जताई और कंपनी के विज्ञापनों पर नजर रखने का निर्देश दिया।

आपको बता दे कि, सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया। केस की अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पतंजलि की ओर से कहा गया- हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। उनके निर्देशों का पालन करेंगे।

 

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