
स्कूल फीस मनमानी पर एक्शन; आदेश ना माना तो रद्द होगी मान्यता…
Delhi School Fees Act: प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. कैबिनेट ने “दिल्ली स्कूल फीस एक्ट” को मंज़ूरी दे दी है. इस अधिनियम से स्कूलों को अब फीस बढ़ाने से पहले एक समिति गठित करनी होगी.
Delhi School Fees Act: दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों में फीस की मनमानी बढ़ोत्तरी पर पिछले कुछ महीनों से लगातार बवाल हो रहा है. स्कूल के अभिभावकों ने दिल्ली सरकार से गुहार भी लगाई थी और उन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था.
दिल्ली सरकार ने कमेटी बनाकर इसकी जांच के आदेश दिए थे और स्कूलों के खिलाफ नोटिस भी जारी किए थे. अब दिल्ली सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है और दिल्ली कैबिनेट ने ‘दिल्ली स्कूल फी एक्ट’ को मंजूरी दे दी है. इससे प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ोत्तरी पर रोक लगेगी.
दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता और शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने “दिल्ली स्कूल फी एक्ट” को मंजूरी दे दी है इसकी जानकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी गई है. इस दौरान मंत्री शिक्षा मंत्री ने कहा है कि इस एक्ट को मंजूरी मिलने के बाद अब स्कूल मनमाने तरीकों से फीस में बढ़ोत्तरी नहीं कर सकेंगे. उन्हें पहले एक कमेटी गठित करनी होगी जिसमें बच्चों के अभिभावक भी शामिल होंगे. अगर सहमति बनती है तो ठीक है नहीं तो आगे की कार्रवाई होगी.
शिक्षा मंत्री ने कहा..ऐतिहासिक कदम
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने दावा किया है कि दिल्ली की पुरानी सरकारों ने कभी इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया. लेकिन बीजेपी सरकार ने इस पर ध्यान दिया और एक्शन भी लिया है. उन्होंने बताया कि 1973 से आज तक स्कूलों की फीस बढ़ने से रोकने का कोई प्रावधान नहीं था. कैबिनेट ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है जो दिल्ली की 1677 प्राइवेट स्कूलों की फीस को बढ़ाने से रोकेगा. इस मामले में दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि यह दिल्ली के लोगों के लिए सुकून का विषय है.
सीएम रेखा गुप्ता ने सुनी शिकायतें
इस दौरान दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता खुद अभिभावकों के बीच पहुंची और उनकी पूरी बात सुनी. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के स्कूलों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया. सूद ने बताया कि कैबिनेट ने इस व्यवस्था को ही बदलने की कोशिश की है जिससे यह समस्या हमेशा के लिए खत्म हो सके. इसलिए कैबिनेट ने दिल्ली स्कूल एजुकेशन बिल 2025 को पास किया है इससे फीस को रेग्यूलेट किया जा सकेगा और पादर्शिता भी आएगी. सूद ने कहा कि पहले की सरकारों ने ऐसा कभी नहीं किया लेकिन बीजेपी सरकार ने इसे महज 65 दिन का समय दिया गया था.
क्या है बिल
इस बिल में कुछ अहम प्रावधान हैं जिसकी वजह से स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाई जा सकेगी. इसमें तीन स्तरीय समिति बनाकर फीस बढ़ोत्तरी लागू करनी होगी. पहले स्कूल स्तर पर एक कमेटी बनेगी जिसमें स्कूल मैनेजमेंट और 5 पैरेंट्स और विभाग के लोग शामिल होंगे. ड्रॉ के हिसाब से पैरेंट्स को चुना जाएगा. 3 साल की फीस के लिए फैसला लिया जाएगा. परिवारों में एक एससी, एसटी परिवार शामिल होगा.
18 बिंदुओं के आधार पर फैसला होगा. अगर ये कमेटी फैसला नहीं ले पाती है तो डिस्ट्रिक्ट लेवल पर कमेटी बनेगी और अगर वह भी फैसला नहीं ले पाते हैं तो स्टेट लेवल पर कमेटी बनेगी. अगर 15% पैरेंट्स पहली कमेटी के फैसले से सहमत नहीं हैं तो वे डिस्ट्रिक्ट लेवल पर अपील भी कर सकते हैं. ये कमेटियां 3 साल तक की फीस बढ़ोत्तरी पर ही फैसला ले सकेंगी. अगर किसी स्कूल ने इन बातों को नहीं माना तो उस पर 1 लाख से लेकर 10 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.