
Delhi News: LG के आदेश पर हटाए गए केजरीवाल के निजी सचिव, कैबिनेट मंत्री आनंद ने भी दिया इस्तीफ़ा
दिल्ली के सतर्कता निदेशालय (DOV) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार को बर्खास्त कर दिया है। डीओवी ने अपने आदेश में विभव कुमार की नियुक्ति को अवैध और अमान्य बताया था।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को झटके लगने का सिलसिला नहीं थम रहा है. विजिलेंस डिपार्टमेंट ने सीएम केजरीवाल के निजी सचिव (PA) बिभव कुमार को टर्मिनेट कर दिया है. बता दें कि शराब घोटाले के मामले में ED विभव कुमार से भी कई बार पूछताछ चुकी है. इसके बाद ही ईडी की लगातार पूछताछ को देखते हुए बिभव कुमार को हटा दिया गया है. विजिलेंस विभाग के स्पेशल सेक्रेटरी वाईवीवीजे राजशेखर ने आदेश जारी किया है।
विजिलेंस विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि बिभव कुमार की नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया और नियमों का ईमानदारी से पालन नहीं किया गया है। इसलिए ऐसी नियुक्ति अवैध और अमान्य है। बता दें कि दिल्ली शराब घोटाला मामले में ईडी कई बार बिभव कुमार से पूछताछ कर चुकी है। सोमवार को भी ईडी ने बिभव कुमार को पूछताछ के लिए बुलाया था।
Directorate of Vigilance (DoV) terminates the services of Bibhav Kumar- private secretary to Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal. pic.twitter.com/3eeZxXn0Jv
— ANI (@ANI) April 11, 2024
केजरीवाल सरकार के कैबिनेट मंत्री राजकुमार आनंद ने दिया इस्तीफा
कथित शराब घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोप से जूझ रही आम आदमी पार्टी को बुधवार को एक और बड़ा झटका लगा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कैबिनेट के मंत्री राजकुमार आनंद ने पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। दिल्ली सरकार के पहले मंत्री हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद सरकार और पार्टी को अलविदा किया है। अनुसूचित जाति कोटे से मंत्री आनंद दिल्ली सरकार में समाज कल्याण मंत्रालय संभाल रहे थे। इस्तीफा देते वक्त उन्होंने आम आदमी पार्टी व दिल्ली सरकार पर कई आरोप लगाए। हालांकि, इस्तीफा देने से पहले आनंद ने सोशल मीडिया पर भाजपा पर हमला बोला था।
इस्तीफा देने के साथ राजकुमार आनंद का आरोप है कि अनुसूचित जाति के लोग आज आप से ठगा हुआ महसूस कर रहा है। पार्टी में अनुसूचित जाति के विधायकों और पार्षदों का सम्मान नहीं है। बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के सिद्धांतों पर चलने वाले लोगों को प्रमुख पदों पर जगह नहीं दी जाती हैं। अगर हम अनुसूचित जाति के लिए ही काम नहीं कर सके तो आप में रहने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए इस्तीफा मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिया है।