उत्तराखंड में बाहरी लोग नहीं खरीद पाएंगे कृषि भूमि-धामी सरकार
उत्तराखंड में भू-कानून को लेकर कुछ दिनों पहले जमकर विरोध हुआ था। भू-कानून के विरोध में देहरादून समेत कई जिलों में स्थानीय लोगों और कई समाज सेवी संस्थाओं ने रैली निकाली थी। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नए साल पर भू-कानून को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है।
उत्तराखंड में अब बाहरी लोग कृषि कार्य और उद्यान लगाने के लिए जमीन नहीं खरीद पाएंगे। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। सीएम धामी के आदेश के तहत बाहरी लोगों के कृषि एवं उद्यान के उद्देश्य से जमीन खरीदने पर अंतरिम रोक लगा दी गयी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में रविवार देर शाम एक उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। सरकार की ओर से जारी इस आदेश के संबंध में कहा गया है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेशहित और जनहित में निर्णय लिया गया है।
सरकार की ओर से कहा गया है कि भू-कानून समिति की आख्या प्रस्तुत किये जाने तक या अग्रिम आदेशों तक जिलाधिकारी राज्य से बाहर के व्यक्तियों को कृषि एवं उद्यान के उद्देश्य से जमीन खरीदने के प्रस्ताव में अनुमति नहीं देंगे। इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने प्रदेश में भूमि खरीद से पहले खरीददार की पृष्ठभूमि के सत्यापन के उपरांत ही उसे इसकी अनुमति देने के निर्देश दिए थे। उत्तराखंड में लैंड जिहाद से संबंधित मामलों को लेकर लगातार माहौल गरमाया हुआ है।
सीएम धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि भू-कानून के लिए बनाई गई समिति की ओर से बड़े पैमाने पर जन सुनवाई की जाए। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों और विशेषज्ञों की राय ली जाए। उत्तर प्रदेश जमींदारी एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 154 में 2004 में किए गए संशोधन के अनुसार ऐसे व्यक्ति, जो उत्तराखंड में 12 सितंबर 2003 से पूर्व अचल संपत्ति के धारक नहीं हैं, को कृषि एवं औद्यानिकी के उद्देश्य से भूमि क्रय करने की जिलाधिकारी द्वारा अनुमति प्रदान किए जाने का प्रावधान है ।
उत्तराखंड के लिए अभी नया भू-कानून तैयार करने की प्रक्रिया चल रह है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से प्रारूप समिति गठित की गई है। तेजी से मसौदा बनाने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सभी निर्णय प्रदेश के हित में लिए जा रहे हैं। राज्य की जनभावनाओं के अनुरूप राज्यहित में जो सर्वोपरि होगा, सरकार द्वारा उस दिशा में निरंतर कार्य किए जायेंगे।
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब कड़े भू-कानून तथा मूल निवास के मुददे को लेकर प्रदेश भर में लोग आंदोलन कर रहे हैं। राज्य के लोगों की मांग है कि इस संबंध में 1950 को कट आफ तारीख माने जाने चाहिए।