पश्चिम बंगाल: ममता बनर्जी और भतीजे अभिषेक के बीच मतभेद, यह है वजह

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कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक के बीच स्थानीय निकाय चुनावों में टिकट बंटवारे को लेकर मतभेद पैदा हो गए हैं।

टीएमसी के कई नेताओं ने यह बात कही। दरअसल, प्रदेश के 108 नगर निकायों के चुनाव होने वाले हैं, जिनमें टिकट बंटवारे को लेकर दोनों नेताओं के बीच मतभेद हैं।

अभिषेक बनर्जी को टीएमसी में ममता बनर्जी के बाद नंबर दो की पोजिशन पर देखा जाता है। यही नहीं गोवा, त्रिपुरा जैसे राज्यों में टीएमसी के पैर पसारने और चुनाव लड़ने के फैसलों के पीछे उनकी ही राय मानी जाती है।

निकाय चुनाव के लिए टीएमसी की ओर से कुल 2200 उम्मीदवारों का ऐलान किया गया है, जिनमें से 150 को लेकर दोनों नेताओं के बीच मतभेद उभर आए हैं।

टीएमसी के कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन

लिस्ट आने के बाद टिकट बंटवारे को लेकर टीएमसी में विद्रोह भी देखा जा रहा है। बंगाल के 19 जिलों में चुनाव होने हैं और कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। यहां तक कि दक्षिण 24 परगना जिले और उत्तर 24 परगना में पुलिस को टीएमसी के कार्यकर्ताओं पर नियंत्रण के लिए लाठीचार्ज तक करना पड़ गया।

टीएमसी ट्रेड यूनियन के वर्कर्स ने बस सेवाओं को निलंबित कर दिया। इसके अलावा जूट मिलों में काम बंद कर दिया।

उम्मीदवारों की एक लिस्ट को ममता बनर्जी की मंजूरी के बाद पार्टी के जनरल सेक्रेटरी पार्थ चटर्जी और सुब्रत बख्शी ने रिलीज किया था। लेकिन एक लिस्ट फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल पर अपलोड की गई है।

150 नामों पर ममता बनर्जी को है आपत्ति

पार्टी के एक सीनियर नेता ने सोशल मीडिया पर जारी इसी लिस्ट को लेकर नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, ‘पार्टी की ओर से 2200 लोगों को उतारा जाएगा।

ममता बनर्जी को 150 नामों पर आपत्ति है, जिन्हें फेसबुक पेज और ट्विटर पर अपलोड की गई लिस्ट में शामिल किया गया है। यही नहीं यह लिस्ट उनकी जानकारी के बिना ही अपलोड की गई थी।’

कोलकाता के मेयर और ममता के करीबी फिरहाद हाकिम ने कहा कि दूसरी लिस्ट उन लोगों की ओर से अपलोड की गई है, जिन्हें पार्टी के डिजिटल मीडिया अकाउंट्स के पासवर्ड दिए गए हैं, जबकि वे इसके लिए ऑथराइज्ड नहीं हैं।

प्रशांत किशोर की कंपनी पर भी नेता उठा रहे सवाल

हाकिम ने इसे लेकर किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन टीएमसी के पुराने नेताओं का एक वर्ग इसके लिए आईपैक को जिम्मेदार ठहरा रहा है। यह प्रशांत किशोर की कंपनी है, जिसे चुनावी रणनीति के लिए ममता बनर्जी ने हायर किया था।

हालांकि अभी सोशल मीडिया पर जारी लिस्ट को हटाया नहीं गया है। इस पर एक नेता ने कहा कि यदि यह पासवर्ड चोरी का ही मामला हो तो फिर दो दिनों से इस लिस्ट को हटाया क्यों नहीं गया है।

वहीं आईपैक से जुड़े एक शख्स ने बताया कि हमारा उम्मीदवारों के चयन में कोई रोल नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा काम तो विधानसभा चुनाव समाप्त होने के साथ ही खत्म हो गया है।

अब आईपैक टीएमसी के लिए गोवा में काम कर रही है। टीएमसी के नेताओं का कहना है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा गरमा सकता है। फिलहाल ममता बनर्जी या फिर अभिषेक ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

ममता का कड़ा संदेश- तानाशाही भरे फैसलों से बचें

ममता बनर्जी ने 27 जनवरी को पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को संबोधित करते हुए नेताओं को लिमिट में रहने के संकेत भी दिए थे।

ममता बनर्जी ने कहा था, ‘बीते कुछ सालों में जो लोग नेता बने हैं, उन्हें तानाशाही पूर्ण फैसलों से बचना चाहिए। कोई भी संगठन से ऊपर नहीं है। हमने बहुत कष्टों के साथ इसे खड़ा किया है। मैं अब अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियों से अलग भी पार्टी के लिए ज्यादा समय दूंगी।’

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