US-China Relations : अमेरिका-चीन के रिश्तों में दूरी, बाइडेन ने शी जिनपिंग को बताया ‘तानाशाह
US-China: एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मुलाकात बेनतीजा मानी जा रही है. चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद जो बाइडन का विचार नहीं बदला. उन्होंने कहा कि उन्हें अब भी लगता है कि शी जिनपिंग एक ‘तानाशाह’ हैं.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। कैलिफोर्निया में जिनपिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की है। अमेरिका-चीन समिट बैठक के दौरान राष्ट्रपति जो बाइडन और शी जिनपिंग यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने पर सहमत हुए कि दोनों देशों के बीच मतभेद मैनेजेबल बने रहें और रिश्ते पटरी से न उतरें. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच में युद्ध से लेकर यूक्रेन, ताइवान समेत इंडो-पैसिफिक मुद्दों पर बातचीत हुई. इतना ही नहीं, चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद भी जो बाइडन का विचार नहीं बदला और उन्होंने कहा कि उन्हें अब भी लगता है कि शी जिनपिंग एक ‘तानाशाह’ हैं.
बता दें कि इससे पहले पिछली बार एक साल पहले जो बाइडन और चीनी राष्ट्रपति के बीच बातचीत हुई थी. दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण संबंध तब और बिगड़ गए जब अमेरिका ने चीन के एक जासूसी गुब्बारे को मार गिराया था.
अहम बैठक रही बेनतीजा
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के लिए अमेरिका गए थे. इस दौरान दोनों शीर्ष नेताओं ने बैठक की. कहा जा रहा था कि चीन और अमेरिका के बीच मतभेद खत्म करने के लिए यह अहम बैठक होगी. बता दें कि ताइवान मुद्दे और व्यापार प्रतिबंधों के कारण दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हैं.
अमेरिका को जिनपिंग की चेतावनी
शिखर सम्मेलन की बैठक में जिनपिंग ने कहा कि चीन अमेरिका के साथ प्रतिस्पर्धा की नीयत नहीं रखता. अमेरिका को भी चीन को दबाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. न ही हमको नियंत्रण करने की योजनाएं बनानी चाहिए. इसे जिनपिंग की चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है. अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण चीन हितों को नुकसान हुआ है.
दोनों के बीच कलह का कारण
गौरतलब है कि साल 2022 में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की स्पीकर रहीं नैन्सी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया था. इस दौरे को लेकर चीन तमतमा गया था और अमेरिका की आलोचना की थी, क्योंकि चीन ताइवान पर दावा करता रहा है. इसके बाद दोनों देशों के मिलिट्री कम्युनिकेशन रुक गए थे.