पापों से मुक्त करती है पापमोचिनी एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

नई दिल्ली। हिंदी तिथिपत्र के अनुसार हर महीने शुक्ल व कृष्ण पक्ष की ग्याहरवीं तिथि को एकादशी व्रत रखा जाता है। पूरे साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है।

शास्त्रों में एकादशी व्रत को सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी होली और नवरात्रि के मध्य पड़ती है। इस साल पापमोचिनी एकादशी 07 अप्रैल, दिन बुधवार को पड़ रही है।

पापमोचिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त-

एकादशी प्रारंभ- 07 अप्रैल से मध्य रात्रि 02 बजकर 09 मिनट से।

एकादशी तिथि समाप्त- 08 अप्रैल की सुबह 02 बजकर 28 मिनट पर।

पारण का समय- 08 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से शाम 04 बजकर 11 मिनट तक।

हरि पूजा का समय- 08 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 40 मिनट पर।

पापमोचिनी एकादशी का महत्व-

पापमोचिनी एकादशी को पापों का नाश करने वाली माना जाता है। इस व्रत को धारण करने से व्यक्ति को तन मन की शुद्धता प्राप्ति होती है।

इसके साथ ही जो व्यक्ति व्रत के दौरान गलत कार्यों को नहीं करने का संकल्प लेता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। व्यक्ति को मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। पाप मोचिनी एकादशी व्रत के फल से व्यक्ति शांतिपूर्ण और खुशहाली के साथ जीवन बिताता है।

पापमोचिनी एकादशी पूजा विधि-

-एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद साफ वस्‍त्र धारण करके एकादशी व्रत का संकल्‍प लें।

– उसके बाद घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 धान (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें।

– वेदी के ऊपर एक कलश की स्‍थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं।

– अब वेदी पर भगवान विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर रखें।

– इसके बाद भगवान विष्‍णु को पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल समर्पित करें।

– फिर धूप-दीप से विष्‍णु की आरती उतारें।

– शाम के समय भगवान विष्‍णु की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें।

– रात्रि के समय सोए नहीं बल्‍कि भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।

– अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें।

– इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें।

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