
Crazxy Review: सोहम शाह की क्रेजी फिल्म, सस्पेंस और थ्रिल का ओवरडोज़…
Crazxy Review: सोहम शाह स्टारर और गिरिश कोहली द्वारा लिखित-निर्देशित ‘क्रेज़ी’ सस्पेंस और थ्रिलर से भरपूर फ़िल्म है. इस मूवी को देखने की प्लानिंग कर रहे हैं तो पहले यहां इसका रिव्यू पढ़ लीजिए.
Crazxy Review: ‘क्रेज़ी’… एक ऐसी सस्पेंस-थ्रिलर फ़िल्म है जिसकी कहानी, प्लॉट और फ़िल्म में होने वाली तमाम घटनाओं का अंदाज़ा लगाना दर्शक के लिए नामुमकिन सा साबित होगा… अब आप कहेंगे कि एक बढ़िया सस्पेंस-थ्रिलर फ़िल्म को ऐसा ही तो होना चाहिए… बिल्कुल, आप सही सोच रहे हैं. मगर एक बेहद क्रेजी आइडिया पर बनी फ़िल्म ‘क्रेज़ी’ इस आला दर्ज़े की क्रेज़ी और दिलचस्प फ़िल्म है कि इसे देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगे कि आखिर इसे बनाने का ख़्याल राइटर-डायरेक्टर गिरीश कोहली को आया कैसे होगा?
क्या है क्रेजी की कहानी
कहानी दिल्ली के एक जाने माने सर्जन डॉक्टर अभिमन्यु सूद (सोहम शाह) की है, जो अपनी कार में 5 करोड़ रुपये लेकर किसी को देने निकलता है. ड्राइविंग के दौरान आने वाले फ़ोन ही कहानी को आगे बढ़ाते हैं, जिससे पता चलता है कि उसकी गलती से ऑपरेशन के दौरान एक 12 साल के बच्चे के मौत हो गई थी. उस केस के आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट के लिए ये रकम देनी है.
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लेकिन अगला फोन एक किडनेपर का होता है, जिसका दावा है कि उसकी बेटी जो तलाकशुदा पत्नी के साथ रह रही थी अब उसके कब्जे में है और उसे छोड़ने के लिए 5 करोड़ चाहिए. नहीं देगा तो बेटी की जान जाएगी और दे देगा तो पार्टी केस वापस नहीं लेगी और जेल जाना पड़ेगा और करियर भी बर्बाद.
कई तरह के पेच डाले गए
आसान तो एक बंदे में दम पर पूरी मूवी खींचना भी नहीं था, सो कई तरह के पेच डाले गये, जो शायद आसानी से दर्शकों को पचें भी नहीं. जैसे ट्यूबलेस टायरों वाली चलती कार में आजकल कहाँ पंक्चर होते हैं. दिल्ली पुलिस डॉक्टर के फ़ोन को ट्रैकिंग पर डालकर आसानी से लोकेशन जान सकती थी. प्रसाद पुलिस का पीछा करने की बात पर चौंका क्यों नहीं? जो पैसों का बैग टनल में गिरा या फेंका वो एक किलोमीटर आगे कैसे पहुंच गया?
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1 घंटे और 40 मिनट की फ़िल्म है ‘क्रेज़ी
फ़िल्म ‘क़्रेज़ी’ महज़ एक घंटे और 40 मिनट की फ़िल्म है मगर एक सस्पेंस-थ्रिलर फ़िल्म के रूप में इस क़दर दिलचस्प और अनूठी फ़िल्म है कि आपको पता ही नहीं चलेगा कि फ़िल्म कब क्लाइमैक्स तक पहुंच जाती है. फ़िल्म का क्लाइमैक्स और किडनैपिंग से जुड़ा ख़ुलासा भी आपको चौंका देगा. मगर हो सकता है कि क्लाइमैक्स में होने वाला खुलासा आपको हज़म ना हो, मगर बेटी को बचाने की बाप की जद्दोजहद और अंत में बाप-बेटी के मिलन के जज़्बाती दृश्य फ़िल्म को नये मानी प्रदान करते हैं
बावजूद इसके सोहम शाह की शानदार एक्टिंग और एक से एक टर्निंग पॉइंट्स रचने वाले निर्देशक गिरीश कोहली ने फ़िल्म से दर्शकों मो अंत तक बांधे रखने वाली मूवी बनायी है.
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मॉम’ और ‘केसरी’ जैसी फ़िल्में लिखने का अनुभव रखने वाले राइटर-डायरेक्टर गिरीश कोहली ने ‘क्रेज़ी’ के रूप में एक उम्दा फ़िल्म लिखी है और निर्देशन की बारीकियों के ज़रिए फ़िल्म को एक अलहदा किस्म की फ़िल्म बनाने के लिए ख़ूब मशक़्क़त की है जो पर्दे पर साफ़तौर पर नज़र भी आती है. अपने नाम के अनुरूप ये फ़िल्म सचमुच एक ‘क्रेज़ी’ राइड साबित होती है जिसे दर्शक के रूप में बड़े पर्दे पर ज़रूर अनुभव किया जाना चाहिए.