Festival: मकर संक्रांति का पर्व, हिन्दू धर्म में इसका विशेष महत्व?

Makar Sankranti 2024: हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है | इस साल 2024 मे मकर सक्रांति 15 जनवरी के दिन सोमवार को मनाया जायेगा| मकर सक्रांति को उत्तरायण भी कहते है | इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हुए उत्तर दिशा कि ओर गति करते है. मकर सक्रांति हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है |

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मकर संक्रांति पर तिल, गुड़ और खिचड़ी का महत्त्व –

मकर संक्रांति का त्योहार तिल, गुड़ और खिचड़ी के बिना अधूरा है | इस दिन तिल-गुड़ ,खिचड़ी का दान बहुत ही शुभ माना जाता है. संक्रांति पर काले तिल और गुड़ से बनी चीजों का दान करके हमे शनि देव और सूर्य का आशीर्वाद मिलता है. इस दिन गुड़ का दान करने से मान सम्मान में वृद्धि होती है और सूर्य की कृपा से करियर में भी लाभ होता है | तिल और गुड़ की तासीर भी गरम होती है जो कि सर्दियों मे बहुत ही लाभ प्रद होती होती है.

इस दिन मकर संक्रांति पर रवि योग का शुभ निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति को अपार धन-वैभव की प्राप्ति होती। आइए जानते हैं मकर संक्रांति पर किस विधि से करें सूर्य नारायण की पूजा।

मकर संक्रांति पर 52 मिनट का शुभ योग

यह पर्व विशेष रूप से भगवान भास्कर की आराधना के लिए होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन रवि योग का शुभ संयोग भी बन रहा है जो बेहद दुर्लभ माना जा रहा है। भगवान सूर्य देव के 12 नामों से एक नाम उनका रवि भी है। 15 जनवरी 2024 दिन सोमवार को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 7 मिनट तक के लिए रवि योग रहेगा। इस योग की अवधि कुल 52 मिनट की होगी। ऐसे में जो लोग इस योग में भगवान सूर्य नारायण का विधि पूर्वक पूजा-पाठ करेंगे उनका जीवन भर कल्याण ही कल्याण होगा।

मकर संक्रांति पर सूर्य देव की विशेष पूजा विधि

  • मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं। इस दिन तीर्थ स्नान का बहुत बड़ा महत्व होता है। मकर संक्रांति वाले दिन किसी तीर्थ नदी में जाकर अवश्य स्नान करें यदि तीर्थ स्नान नहीं कर सकते हैं। तो नहाने के पानी में गंगाजल जरूर डालकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और रवि योग में सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें। अर्घ्य देने से पहले तांबे के लोटे में जल डालें, उसमें अक्षत, लाल कुमकुम, कनेर का पीला फूल और काला तिल अवश्य डालें। इस तरह से नियम पूर्वक सूर्य देव का अर्घ्य तैयार करने के बाद उनके सम्मुख खड़े होकर उन्हें अर्घ्य अर्पित करें।
  • अर्घ्य देने का मंत्र इस प्रकार से – ओम् घृणि सूर्याय नम:। अर्घ्य देते समय आप सूर्य देव के इस विशेष मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  • इसके बाद धूप जलाकर आप भगवान सूर्य देव की आरती करें। उनसे हाथ जोड़ कर प्रार्थना करें कि वह आपको जीवन में सफल होने का आशीर्वाद प्रदान करें।
  • सूर्य देव की आरती करने के बाद वहीं प खड़े होकर हाथ जोड़े हुए उनकी 3 बार परिक्रमा लगा लें।
  • इसके बाद आप तीन बार आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें जो सूर्य देव का सबसे फलदायक पाठ है।
  • मकर संक्रांति वाले दिन इस विध से सूर्द देव की आराधना करने के बाद श्रद्धानुसार काला तिल, गेहु, गुड़ इत्यादि वस्तुओं का दान 

मकर संक्रांति से जुड़ी कथाये..

राजा भगीरथ मां गंगा को लेकर कपिल मुनि के आश्रम तक लेकर आए, जहां पर मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया. जिस दिन मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष दिया, उस दिन मकर संक्रांति थी. वहां से मां गंगा आगे जाकर सागर में मिल गईं. जहां वे मिलती हैं, वह जगह गंगा सागर के नाम से प्रसिद्ध है. महाभारत काल में पितामह भीष्म ने सूर्य उत्तरायण होने पर अपने प्राणों का त्याग किया था |                              

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