सबसे पहले नागा साधु करते हैं शाही स्नान… जानें क्यों नागाओं के लिए विशेष है महाकुंभ

Mahakumbh Mela 2025: आस्था, संस्कृति और एकता का संगम ‘महाकुंभ मेला 2025’ 13 जनवरी से शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि ये 144 साल बाद वाला महाकुंभ है। जिस वजह से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करने के लिए पहुंच रहे हैं।

इस बीच लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं नागा साधु जो कुंभ के अलावा इतनी बड़ी संख्या में बहुत काम दिखते हैं। हर कुंभ, पूर्णकुंभ और महाकुंभ में देश के कोने-कोने से नागा साधु पहुँचते हैं। महाकुंभ 2025 में नागा साधुओं के सभ अखाड़े सम्मिलित हुए हैं।

सबसे पहले स्नान करते हैं नागा साधु
महाकुंभ के दौरान नागा साधु सबसे पहले शाही स्नान करते हैं. नागा अखाड़ों को प्रथम स्नान की अनुमति उनके धर्म के प्रति निष्ठा और समर्पण के लिए दी जाती है. नागा साधु भी महाकुंभ शाही स्नान की जोरो शोरो से तैयारी करते हैं. इसके लिए वे खास तौर पर पूरे 17 श्रृंगार करते हैं और फिर डुबकी लगाते हैं. चलिए जानते हैं सत्रह श्रृंगारों के बारे में

शाही स्नान से पहले करते हैं ये17 श्रृंगार
नागा साधु भले ही संसार के मोहमाया के बंधनों से मुक्त हो चुके हों, लेकिन अपने श्रृंगार को ये कभी नहीं छोड़ते हैं. वहीं जब शाही स्नान में शामिल होने के लिए जाते हैं तब ये पूर्ण रूप से 17 श्रृंगार करते हैं. भभूत, लंगोट, चंदन, पैरों में कड़ा (चांदी या लोहे का), पंचकेश, अंगूठी, फूलों की माला (कमर में बांधने के लिए), हाथों में चिमटा, माथे पर रोली का लेप, डमरू, कमंडल, गुथी हुई जटा, तिलक, काजल, हाथों का कड़ा, विभूति का लेप, रुद्राक्ष आदि शामिल है।

कुंभ होता है नागाओं के लिए विशेष
कुंभ मेला नागा साधुओं के लिए इस लिए भी विशेष होता है क्योंकि इसी दौरान उन्हें दीक्षा भी दी जाती है।12 सालों के कठोर तप के बाद महाकुंभ में ही नागा साधुओं के दिक्षा पूर्ण होती है. वहीं नागा साधु महाकुंभ में तब डुबकी लगाते हैं जब कि उनकी साधना पूरी हो जाती है और उनका शुद्धिकरण हो चुका होता है.

कम उम्र में कैसे होती है दीक्षा
इन नागा साधुओं को देखकर लोग सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि, इतनी कम उम्र में कैसे इन बालकों ने साधु जीवन के कठिन पथ को चुना होगा. कुंभ के दौरान बाल नागा साधु कभी अखाड़े में लाठी का अभ्यास करते दिखते हैं, कभी गुरु सेवा में तो कभी भभूत रमाए, गेरुआ पहने गुरु के साथ पूजन-अर्चन में शामिल होते नजर आते हैं. इनके गुरु बताते हैं कि जबसे ये उन्हें प्राप्त होते हैं तब से वे उन्हें पूर्ण संत-संन्यासी बनाने की पूरी कोशिश करते हैं.

महाकुंभ मेले में कब तक रहेंगे नागा साधु
नागा साधु महाकुंभ में अमृत स्नान के पहले ही आ जाते है और अंतिम अमृत स्नान के बाद अपने-अपने अखाड़ों में लौट जाते हैं। प्रयागराज में अंतिम अमृत स्नान (शाही स्नान) 3 फ़रवरी यानि बसंत पंचमी के दिन है। यही नागा साधुओं का महाकुंभ में आखिरी दिन होगा। कुछ नागा साधु महाकुंभ से ही वन या हिमालय की ओर तपस्या करने के लिए निकल जायेंगे।

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