चुनावी किचकिच: कांग्रेस नेता आनंद शर्मा व अधीर रंजन चौधरी में ठनी, लगे आरोप-प्रत्यारोप

आनंद शर्मा व अधीर रंजन चौधरी

कोलकाता/नई दिल्ली। पांच राज्यों में चुनावी दुंदुभी बजते ही चुनावी जूतम-पैजार भी शुरू हो गई है। ताजा मामला पश्चिम बंगाल से जुड़ा है, जहाँ चुनाव से पहले कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच बड़ी बहस छिड़ गई है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने बंगाल में कांग्रेस के अब्बास सिद्दीकी के नेतृत्व वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ गठबंधन की आलोचना की है। 

शर्मा ने कहा कि यह पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवादी और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। यह गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ है।

आनंद शर्मा ने कहा कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है।

शर्मा ने कहा कि आईएसएफ जैसी कट्टरपंथी पार्टी के साथ गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए थी और उसे कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा अनुमोदित होना चाहिए था।

आनंद शर्मा ने कोलकाता में संयुक्त रैली में भाग लेने के लिए पश्चिम बंगाल कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी से स्पष्टीकरण मांगा, जहां आईएसएफ नेता मौजूद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी उपस्थिति और समर्थन कष्टदायक और शर्मनाक थी।

आनंद शर्मा के बयान के बाद पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने उन पर कई तरह के आरोप लगाए। चौधरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने स्वयं से निर्णय नहीं किया है। सीडब्ल्यूसी पार्टी का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है जो पार्टी के महत्वपूर्ण फैसले लेता है।

अधीर रंजन चौधरी ने आनंद शर्मा पर भाजपा को खुश करने वाला बयान देने का आरोप लगाया और खरी-खोटी सुनाई। अधीर रंजन ने कहा कि मुझे बहुत अजीब लग रहा है कि आनंद शर्मा हमारी पार्टी में रहते हुए किसी और की बात कैसे कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे बयानों से विरोधी मजबूत होता है। 

अधीर रंजन ने कहा कि जो लोग ऐसे बयान दे रहे हैं, वो वरिष्ठ लोग हैं लेकिन फिर भी ऐसी आधारहीन बात कर रहे हैं। आनंद शर्मा का यह बयान भाजपा की लाइन है।

पश्चिम बंगाल में आनंद शर्मा को कोई नहीं पहचानता, उनकी बात का कोई मोल नहीं है। यह ठन-ठन गोपाल के बोलने से क्या होगा। 

अधीर रंजन ने आगे कहा कि आनंद शर्मा ने ट्विटर पर जो लिखा कांग्रेस नेतृत्व की नजर में आने के लिए लिखा और उनकी बात एकदम आधारहीन है। बता दें कि शर्मा सीडब्ल्यूसी (कांग्रेस कार्यसमिति) के सदस्य और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता हैं।

कौन हैं अब्बास सिद्दीकी?

अब्बास सिद्दीकी बंगाल की फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा हैं और बंगाल की राजनीति में खासा प्रभाव रखते हैं। इस बार उन्होंने बंगाल में चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

बंगाल में करीब 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। फुरफुरा दरगाह का असर सौ सीटों पर माना जाता है। हालांकि अपने बयानों के चलते अब्बास सिद्दीकी सुर्खियों में रहते हैं।

कट्टरता और महिला विरोध बयानों के कारण वो कई बार विवाद में फंसे, इसलिए कांग्रेस के आईएसएफ के साथ गठबंधन को लेकर कई तरह के सवाल किए जा रहे हैं।

पिछले दिनों लेखिका तस्लीमा नसरीन ने अब्बास सिद्दीकी को लेकर लिखा था कि वो शरिया कानून को मानते हैं और फ्री स्पीच का समर्थन नहीं करते हैं। 

क्या है मामला?

दरअसल, आईएफएस कांग्रेस के हिस्से से भी सीटों की मांग कर रहा है, जबकि सीपीएम आईएफएस को 30 सीटें देने के तैयार हो गया है।

कांग्रेस ने 2016 के चुनावों का हवाला दिया है और पार्टी एक भी सीट छोड़ने को तैयार नहीं है। कांग्रेस ने 92 सीटों पर चुनाव लड़कर 44 सीटें अपने नाम की थीं। 

आईएसएफ का कहना है कि 2016 के बाद 2019 में कांग्रेस ने जो प्रदर्शन दिखाया, वो सब जानते हैं। कांग्रेस का कहना है कि उनका गठबंधन लेफ्ट के साथ है और लेफ्ट का आईएफएस के साथ..इसलिए लेफ्ट की जिम्मेदारी बनती है कि वो आईएफएस को सीट दे।

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