Fuel Price in India : देश की जनता को पड़ेगी महंगाई की मार, बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम?

त्योहारी सीजन में एक बार फिर महंगाई बढ़ने के आसार दिख रहे हैं। कारण ये है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल की कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है। इसके पीछे की वजह सऊदी अरब और रूस हैं।

इमेज क्रेडिट : सोशल मीडिया

अंतरराष्ट्रीय बाजार में शुक्रवार को कच्चे तेल का भाव 94 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया। वहीं, WTI Crude 91 डॉलर प्रति बैरल पर है। कच्चे तेल की कीमत का यह आंकड़ा 10 महीने में सबसे ज्यादा है। अगर कच्चे तेल के दाम में इसी तरह तेजी जारी रही, तो आने वाले त्योहारी सीजन में जनता को महंगाई का झटका लग सकता है। आम लोगों की परेशानी बढ़ सकती है।

क्यों बढ़ी रही कच्चे तेल की कीमत?

सितंबर की शुरुआत में सऊदी अरब और रूस ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने का निर्णय लिया था। इस फैसले के तहत दोनों ही देश दिसंबर 2023 तक 1.3 मिलियन बैरल कच्चे तेल के उत्पादन को घटाएंगे। सऊदी अरब के अगले महीने फिर से कच्चे तेल के उत्पादन को घटाने या बढ़ाने को लेकर समीक्षा करेगा। सऊदी अरब की तरह अब रूस भी कच्चे तेल के उत्पादन को घटा रहा है। इस अवधि में रूस ने प्रति दिन 3 लाख बैरल तक कच्चे तेल के निर्यात को कम करने का भी फैसला किया है। यही वजह है कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है।

बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम?

कच्चे तेल का बड़ा आयातक होने की वजह से भारत की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदता है। आयात किए जा रहे कच्चे तेल की कीमत भारत को अमेरिकी डॉलर में चुकानी पड़ती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल के दाम प्रभावित होते हैं, कीमतों में इजाफा देखने को मिलता है। जब भी कच्चे तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती हैं, देश में भी तेल और पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ जाते हैं। ऐसे में अगर कच्चे तेल की कीमतें ऐसे ही बढ़ती रही तो देश में पेट्रल और डीजल के दाम बढ़ सकते हैं।

महंगाई को लेकर आखिर भारत समेत अन्य देश क्यों चिंतित हैं?

ओपेक देशों के बाद सऊदी और रूस की ओर से निर्यात और उत्पादन में कटौती के फैसले से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़नी तय है। उधर, भारत की चिंताएं इसलिए बढ़ीं हैं, क्योंकि हमारे देश की 4 तेल कंपनियों ONGC विदेशी लिमिटेड (OVL), ऑयल इंडिया लिमिटेड (OVL), इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड (IOCL) और भारत पेट्रोरिसोर्सेज ने रूस की कंपनी CSJC वेंकोरनेफ्ट में करीब 50 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। इसमें 16 अरब डॉलर (1.32 लाख करोड़ रुपए) का इन्वेस्टमेंट हुआ है। ऐसे में रूस के तेल उत्पादन में कटौती का असर इन भारतीय कंपनियों पर भी पड़ना तय है।

इस साल के 9 महीनों में भारत ने सऊदी अरब और इराक के मुकाबले रूस से ज्यादा तेल खरीदा है। बता दें कि
भारत अपनी जरूरत का करीब 80 प्रतिशत तेल आयात करता है। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत में अगर एक डॉलर की भी बढ़ोतरी होती है तो भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम 50 से 60 पैसे बढ़ जाते हैं।

आखिर, भारत में कैसे तय होती है पेट्रोल-डीजल की कीमतें?

अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, ट्रांसपोर्टेशन और अन्य खर्चों को ध्यान में रखकर भारत में पेट्रोल-डीजल का रेट तय किया जाता है। 2014 तक केंद्र सरकार तेल की कीमतें तय करती थीं, लेकिन 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद तेल की कीमतों के निर्धारण की जिम्मेदारी तेल कंपनियों को सौंप दी गई।

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