Air Pollution से बचाएगा Google का New Feature, जानें कैसी है आस-पास की आबोहवा

Google AI Air View Plus: दिल्ली-एनसीआर समेत पुरे उत्तर भारत में प्रदूषण की बहुत भयावह स्थिति बानी हुई है। यहाँ की आबोहवा इतनी बिगड़ चुकी है कि हाल ही में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 491 पर पहुंच गया था. यह बेहद खतरनाक स्थिति है. यह तो दिल्ली का हाल था, लेकिन आपके शहर के क्या हालात हैं? आपके शहर की एयर क्वालिटी कैसी है? क्या यह दमघोंटू तो नहीं है? इन सभी सवालों का जवाब अब गूगल मैप्स का नया फीचर देगा.

जी हाँ गूगल ने वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक नया एआइ-संचालित “Google AI Air View Plus” फीचर लॉन्च किया है। यह फीचर गूगल मैप्स के जरिए देशभर के यूजर्स को गली-चौराहों पर हवा की गुणवत्ता की रियल टाइम जानकारी देगा।

अपनी आस-पास की वायु गुणवत्ता की ले सकेंगे जानकारी
वायु प्रदूषण स्वास्थ्य चुनौतियों का कारण बन रहा है। हाइपरलोकल स्तर पर वायु गुणवत्ता के बारे में अपूर्ण डेटा के कारण लक्षित कार्रवाई की क्षमता सीमित हो जाती है। गूगल के नए फीचर (Google AI Air View Plus) से लोगों के साथ सरकारी अधिकारी भी अपने इलाकों में वायु गुणवत्ता की जानकारी ले सकेंगे। देश के 150 से ज्यादा शहरों में विशेष सेंसर लगाए गए हैं, जो लगातार वायु गुणवत्ता की निगरानी करते हैं। ये हर मिनट तापमान व आर्द्रता के साथ विभिन्न वायु गुणवत्ता मापदंडों (पीएम2.5, पीएम10, सीओ2, एनओ2, ओजोन, वीओसी) को मापते हैं।

कलर-कोड सिस्टम का किया गया है इस्तेमाल
गूगल मैप पर प्रदूषण का स्तर बताने के लिए कलर-कोड सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। इसमें हरे रंग का मतलब सामान्य, जबकि गहरे लाल रंग का मतलब ज्यादा प्रदूषण है। रियल टाइम पॉल्यूशन ट्रैक करने का यह फीचर (Google AI Air View Plus) गूगल मैप के ऐप के साथ वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।

स्केल पर भी बताएगा एक्यूआइ का स्तर
गूगल का नया फीचर (Google AI Air View Plus) वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) को 0 से 500 के स्केल पर भी बताएगा। जिस जगह जितना ज्यादा पॉल्यूशन होगा, वहां एक्यूआइ नंबर उतना ज्यादा होगा। 0-50 को अच्छा, 51-100 को संतोषजनक, 101-200 को मीडियम, 201-300 को खराब, 301-400 को बहुत खराब और 401-500 को अति गंभीर माना जाता है।

सरकार को भी मिलेगा फायदा
एयर व्यू प्लस फीचर को इस तरह डिजाइन किया गया है ताकि यह न केवल लोगों तक सरकारी एजेंसियों तक भी एयर क्वालिटी की जानकारी दे सके. यह फीचर उन सरकारी एजेंसियों के काफी काम आएगा, जो प्रदूषण कम करने में लगी हुई हैं, और एनवायरनमेंट मॉनिटरिंग और अर्बन प्लानिंग जैसे काम करती हैं.

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