वक्फ संशोधन विधेयक पर JPC बैठक में भारी हंगामा… 10 विपक्षी सांसद हुए निलंबित
Waqf Bill JPC Meeting: वक्फ संशोधन विधेयक के मद्देनजर गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की आज बैठक हुई। सुबह 11 बजे से शुरू होने के बाद हंगामा होने लगा जिससे बैठक को बीच में ही रोकनी पड़ी। विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि उन्हें ड्राफ्ट में प्रस्तावित बदलावों का रिसर्च करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है।
जेपीसी की बैठक में इस कदर दोनों पक्षों में हंगामा बढ़ गया कि मार्शल को बुलाना पड़ा। इस दौरान सांसदों की ओर से खूब नारेबाजी की गई। हंगामे में शामिल 10 विपक्षी सांसदों को केवल एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया।
हंगामे के बाद निलंबित हुए 10 विपक्षी सांसद
दरअसल जेपीसी की बैठक में दोनों पक्षों के बीच कहासुनी हुई, जिसके बाद एक दिन के लिए विपक्ष के कई सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया है। इन सांसदों ने टीएमसी के कल्याण बनर्जी, टीएमसी के नदीम उल हक, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, समाजवादी पार्टी के मोबीबुल्लाह, कांग्रेस के नासिर हुसैन, कांग्रेस के इमरान मसूद, मोहम्मद जावेद, शिवसेना यूबीटी के अरविंद सावंत, डीएमके के ए राजा और अब्दुल्ला को शामिल हैं। बता दें कि इन सांसदों को समिति से नहीं बल्कि केवल आज की बैठक से निलंबित किया गया है।
विपक्ष का आरोप बैठक में की गई जल्दबाजी
विपक्ष की ओर से लोकसभा में DMK के मुख्य सचेतक ए राजा ने 24 और 25 जनवरी की बैठक स्थगित करने की मांग की है। जगदंबिका पाल को लिखे लेटर में राजा ने कहा- “यह कहने की जरूरत नहीं है कि पटना, कोलकाता और लखनऊ में जेपीसी के दौरे 21 जनवरी को ही पूरे हो गए थे। अजीब बात यह है कि तारीखों की घोषणा बिना जेपीसी की अगली बैठक जल्दबाजी में की गई, जबकि जेपीसी पहले से ही दौरे पर थी।”
TMC सांसद बोले- बैठक का समय बदला जाए
कार्यवाही से बाहर आए TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि समिति की कार्यवाही एक तमाशा बन गई है। उन्होंने मांग की कि 27 जनवरी को निर्धारित बैठक को 30 जनवरी या 31 जनवरी तक के लिए टाल दिया जाए। हालंकि, भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे ने विपक्षी सदस्यों की आलोचना की और कहा कि उनका आचरण संसदीय परंपरा के खिलाफ है और वे बहुमत की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
अंतिम चरण में पहुंचा वक्फ संशोधन विधेयक
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने समिति को आगामी बजट सत्र के आखिरी दिन तक कार्यकाल विस्तार दिया था। बजट सत्र 31 जनवरी से चार अप्रैल तक चलेगा। हालांकि बीच में कुछ दिनों का अवकाश होगा। सदस्य अब मसौदा कानून में अपने संशोधनों का प्रस्ताव कर सकते हैं और उन पर मतदान किया जाएगा। विपक्षी सांसद, जो विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे हैं, संशोधन का प्रस्ताव दे सकते हैं। हालाँकि, इन्हें स्वीकार किए जाने की संभावना नहीं है क्योंकि समिति में भाजपा और उसके सहयोगी दल बहुमत में हैं। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि खंड-दर-खंड विचार के आधार पर मसौदा रिपोर्ट तैयार की जाएगी और विधायी विभाग के साथ साझा की जाएगी।
यह भी पढ़ें…
अस्थिर दुनिया में वैश्विक भलाई के लिए ताकत बनकर खड़ा रहेगा क्वाड: जयशंकर
परिवर्तनकारी पहल साबित हुआ ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना…PM Modi ने रखा नया संकल्प
नारायण मूर्ति का फिर आया बयान… कहा 60 फीसदी भारतीय फ्री के अनाज पर निर्भर