उप्र: गैंगस्टर एक्ट में अब अनिवार्य रूप से जब्त होगी संपत्ति, नियमावली लागू

GANGSTER ACT

गोरखपुर। उप्र में गैंगस्टर अधिनियम के तहत कार्रवाई होने पर अब आरोपित की संपत्ति अनिवार्य रूप से जब्त कर ली जाएगी। प्रदेश में पहली बार लागू हुई गैंगस्टर नियमावली-2021 में इसका प्रविधान किया गया है।

गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत होने वाली सभी कार्रवाई अब गैंगस्टर नियमावली से की जाएगी। पहले संपत्ति जब्त करना वैकल्पिक था और अलग-अलग मामलों के अनुसार निर्णय लिया जा सकता था। नियमावली 27 दिसंबर 2021 से लागू हो चुकी है।

गोरखपुर के पुलिस लाइन में हुई कार्यशाला में वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी बीडी मिश्रा ने सभी थानाध्यक्षों को इसके प्रमुख बिंदुओं की जानकारी दी। नियमावली में कई महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए जिलाधिकारी के अधिकार बढ़ाए गए हैं।

आरोप पत्र दाखिल करते समय संपत्ति जब्ती की रिपोर्ट देनी होगी

विधानसभा चुनाव को लेकर थानाध्यक्षों की बैठक हुई, जिसमें नई नियमावली की जानकारी दी गई। गैंगस्टर के मामले में विवेचक को विवेचना के दौरान या आरोप पत्र दाखिल करते समय संपत्ति जब्ती की रिपोर्ट देनी होगी।

ऐसा न होने पर जिलाधिकारी अनिवार्य रूप से एसएसपी से इसका कारण पूछेंगे। संपत्ति जब्ती की रिपोर्ट आने पर स्वयं संपत्तियों की जांच कर सकते हैं या किसी विधि अधिकारी से जांच करा सकते हैं। संपत्ति के वैध या अवैध होने की जांच राजपत्रित अधिकारी से करानी होगी।

सामूहिक दुष्कर्म, हत्या जैसे अपराध में तुरंत लग सकेगा गैंगस्टर

धारा-376 डी यानी सामूहिक दुष्कर्म, 302 यानी हत्या, 395 यानी लूट, 396 यानी डकैती व धारा-397 यानी हत्या कर लूट जैसे अपराधों में तुरंत गैंगस्टर लगाया जा सकेगा। पुरानी व्यवस्था में गंभीर धारा होने पर भी गैंगस्टर की कार्रवाई एक से अधिक मुकदमे का होना जरूरी था।

गंभीर धाराओं में किसी नाबालिग की संलिप्तता होने पर जिलाधिकारी की अनुमति लेकर ही गैंगस्टर की कार्रवाई की जा सकेगी। पुरानी व्यवस्था में नाबालिग इस कार्रवाई से बच जाता था।

गैंग चार्ट में जरूरी नहीं, विवेचना में भी बढ़ जाएगा नाम

पुरानी व्यवस्था में गैंगस्टर की कार्रवाई उसी पर होती थी, जिसका नाम गैंग चार्ट में दर्ज होता था। विवेचना के दौरान नाम नहीं बढ़ा सकते थे।

नई नियमावली के अनुसार अपराध में संलिप्तता मिलने या अपराधी का सहयोग करने का साक्ष्य मिलने पर जिलाधिकारी से अनुमति लेकर किसी का नाम मुकदमे में बढ़ाया जा सकता है।

नई नियमावली में गैंगस्टर में निरुद्ध व्यक्ति पर दर्ज अन्य मामले, जैसे शांतिभंग में पाबंदी, गुंडा एक्ट या रासुका के तहत कार्रवाई जैसे विवरण भी गैंग चार्ट में दर्ज किए जाएंगे।

गैंगस्टर एक्ट के मामले में जिलाधिकारी हर तीन माह पर, मंडलायुक्त छह और अपर मुख्य सचिव गृह प्रति वर्ष समीक्षा करेंगे।

गलत कार्रवाई होगी वापस

गैंगस्टर के तहत हुई गलत कार्रवाई को अब वापस भी लिया जा सकेगा। विवेचना के दौरान जिलाधिकारी उसे खारिज कर सकेंगे। आरोप पत्र दाखिल होने पर राज्य सरकार से संस्तुति करनी होगी।

गैंग चार्ट के तथ्यों के लिए थाना प्रभारी जिम्मेदार

वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी के अनुसार गैंगस्टर की नियमावली अपराधों पर अंकुश लगाने में काफी प्रभावी साबित होगी। इसमें कई नए प्रावधान किए गए हैं।

गैंग चार्ट में जिस विषयवस्तु का उल्लेख किया जाएगा, उसके सही होने की पूरी जिम्मेदारी संबंधित थाना प्रभारी की होगी।

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