यूएन में भारत ने पाक को घेरा, कहा- हिंदू मंदिर में लगाई गई आग, इमरान सरकार बनी रही मूकदर्शक

न्यूयॉर्क/इस्लामाबाद/नई दिल्ली। अल्पसंख्यकों पर पाकिस्तान के पाखंड का पर्दाफाश करते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में एक मौलवी के नेतृत्व में कट्टरपंथियों द्वारा पाकिस्तान में हिंदू मंदिर को तोड़े जाने के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया।
भारत ने कहा कि दुनिया में आतंकवाद, हिंसात्मक अतिवाद, कट्टरपंथ और असहिष्णुता बढ़ रही है। इससे धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत स्थलों में आतंकी गतिविधियों और विनाश का खतरा पैदा हो गया है।
यूएन में भारत ने कहा कि पाकिस्तान के दोगलेपन का ताजा उदाहरण हाल ही में पाकिस्तान के करक जिले में देखने को मिला। जहां दिसंबर 2020 में कट्टरपंथियों ने एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर पर हमला किया और भीड़ ने उसमें आग लगा दी।
इस मामले पर इमरान खान सरकार मूकदर्शक बनी रही। पाकिस्तान अक्सर यूएन में मुसलमानों को लेकर भारत को घेरने की कोशिश करता रहता है लेकिन इस बार भारत ने उसे सिखों और हिंदुओं पर जारी अत्याचारों की लिस्ट गिनवा दी।
भारत ने कहा, ‘अफगानिस्तान में कट्टरपंथियों द्वारा भगवान बुद्ध की मूर्तियां तोड़े जाने की याद आज भी हमारे जेहन में हैं। आतंकियों ने अफगानिस्तान में सिखों के गुरुद्वारे पर कायराना हमला किया जिसमें 25 श्रद्धालु मारे गए।
हाल ही में पाकिस्तान के करक जिले में एक हिंदू मंदिर को भीड़ ने आग लगा दी। वहां ऐसा प्रशासन के स्पष्ट समर्थन से किया गया। जब मंदिर को गिराया जा रहा था, उस समय वहां का प्रशासन मूकदर्शक बनकर खड़ा था।’
भारत ने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए शांति और सहिष्णुता की संस्कृति को बढ़ावा देने पर संकल्प को अपनाने के दौरान संयुक्त राष्ट्र में यह बयान दिया।
यूएन में भारत ने कहा कि उसे और यूएन अलायंस ऑफ सिविलाइजेशन को जब तक चयनात्मकता बची हुई है, किसी का पक्ष नहीं लेना चाहिए।
भारत ने कहा कि हम सभी को उन ताकतों के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा जो शांति की जगह घृणा और हिंसा की बातें भरती हैं।
बता दें कि तोड़े गए मंदिर में एक हिंदू धार्मिक नेता की समाधि थी। हिंदू समुदाय ने मंदिर की दशकों पुरानी इमारत के जीर्णोद्धार के लिए स्थानीय अधिकारियों से अनुमति ली हुई थी।
कुछ स्थानीय मौलवियों और जमीयत उलेमा-ए- इस्लाम पार्टी (फजल उर रहमान समूह) के समर्थकों की अगुवाई में भीड़ ने पुराने ढांचे के साथ-साथ नए निर्माण कार्य को भी तोड़ दिया। इस हमले की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के नेताओं ने निंदा की थी।
