भारत की ऊँची उड़ान, ISRO ने रचा इतिहास किया XPoSat का लॉन्च, ब्लैक होल का खोलेगा राज

ISRO: एक तरफ जहां पूरी दुनिया में नए साल का जश्न मनाया जा रहा है वहीं भारत भी नए साल के जश्न में डूबा है. इसी बीच इसरो ने नए साल के पहले दिन ही 1 जनवरी 2024 को इतिहास रच दिया है. सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसरो ने XPoSat सैटेलाइट को लॉन्च किया गया पैलोड को PSLV-C58 रॉकेट से भेजा गया है.

इमेज क्रेडिट : सोशल मीडिया

ISRO: नया साल 2024 भारत के लिए कई बड़ी सौगात लेकर आ रहा है। एक तरफ जहाँ 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है वहीँ दूसरी तरफ नए साल के पहले दिन 1 जनवरी को भारतीय आंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने इतिहास रच दिया है। जी हाँ इसरो की तरफ से भारत को यह शानदार तोहफा मिला है। इसरो ने सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर PSLV-C58/XPoSat को लॉन्च कर दिया. इस मिशन के जरिए कई रहस्यों का पता लगाया जाएगा. एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) का प्रक्षेपण आज सुबह 09:10 बजे आंध्र प्रदेश में पहले लॉन्च-पैड, SDSC-SHAR, श्रीहरिकोटा से निर्धारित किया गया है.

मिशन के लिए रविवार सुबह 8:10 बजे से उलटी गिनती शुरू कर दी गई। प्रक्षेपण सुबह 09:10 बजे चेन्नई से 135 किमी दूर मौजूद श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष-अड्डे के प्रथम लॉन्च पैड से होगा। इसरो ने बताया कि एक्सपोसैट 5 साल काम करने के लिए बना है, यानी साल 2028 तक इसे काम में लिया जाएगा। प्रक्षेपण के लिए 44.4 मीटर ऊंचा पीएसएलवी-डीएल प्रारूप का रॉकेट बनाया गया है। इसका लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान 260 टन होगा। यह सबसे पहले पृथ्वी से 650 किमी ऊंचाई पर एक्सपोसैट को स्थापित करेगा। यह करने के लिए इसे लिफ्ट-ऑफ के बाद 21 मिनट लगेंगे। यहां काम खत्म नहीं होगा।

उपग्रहों को स्थापित करने के बाद वैज्ञानिक पीएसएलवी-सी 58 को पृथ्वी की ओर 350 किमी की ऊंचाई तक लाएंगे। इसके लिए रॉकेट में शामिल किए जा रहे चौथे चरण का उपयोग होगा। यहां पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल – 3 (पोयम 3) परीक्षण अंजाम दिया जाएगा। यह बता दें कि अप्रैल 2023 में पीएसएलवी सी 55 रॉकेट के साथ भी इसरो ने पोयम परीक्षण किया था।

एक्सपोसैट में दो उपकरण लगाए गए हैं। पहला पोलरीमीटर इंस्ट्रूमेंट इन एक्सरे यानी पॉलिक्स। इसे रमन शोध संस्थान ने बनाया है। वहीं एक्सरे स्पेक्ट्रोस्कोपी एंड टाइमिंग यानी एक्सपेक्ट दूसरा उपकरण है, जिसे यूआर राव उपग्रह केंद्र बेंगलूरू ने बनाया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने पीएसएलवी सी-58 के जरिए सोमवार को XpoSAT उपग्रह को श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया। 

इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ इस मिशन की लॉन्चिंग खुद देख रहे हैं। उपग्रह अब तक तीन चरण सफलतापूर्वक पूरे कर चुका है। 

ये 10 उपग्रह भी होने हैं स्थापित

  1. रेडिएशन शील्डिंग एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल, इसे टेक मी 2 स्पेस कंपनी ने बनाया
  2. महिलाओं का बनाया उपग्रह, जिसे एलबीएस महिला तकनीकी संस्थान ने तैयार करवाया
  3. बिलीफसैट, एक रेडियो उपग्रह जो केजे सोमैया तकनीकी संस्थान ने शौकिया तौर पर बनवाया
  4. ग्रीन इम्पल्स ट्रांसमीटर, इसे इंस्पेसिटी स्पेस लैब ने बनाया
  5. लॉन्चिंग एक्सपीडिशंस फॉर एस्पायरिंग टेक्नोलॉजीस टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर उपग्रह, इसे ध्रुव स्पेस ने बनाया
  6. रुद्र 0.3 एचपीजीपी और आर्का 200, दोनों उपग्रह बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस ने विकसित किए
  7. डस्ट एक्सपेरिमेंट, जिसे इसरो के पीआरएल ने बनाया
  8. फ्यूल सेल पावर सिस्टम और सिलिकॉन आधारित उच्च ऊर्जा सेल, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने बनाया

इसरो ने बताया कि इस उपग्रह का लक्ष्य सुदूर अंतरिक्ष से आने वाली गहन एक्स-रे का पोलराइजेशन यानी ध्रुवीकरण पता लगाना है। यह किस आकाशीय पिंड से आ रही हैं, यह रहस्य इन किरणों के बारे में काफी जानकारी देते हैं। पूरी दुनिया में एक्स-रे ध्रुवीकरण को जानने का महत्व बढ़ा है। यह पिंड या संरचनाएं ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे (तारे में विस्फोट के बाद उसके बचे अत्यधिक द्रव्यमान वाले हिस्से), आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद नाभिक आदि को समझने में मदद करता है। इससे आकाशीय पिंडों के आकार और विकिरण बनाने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह समेत 11 उपग्रहों को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में स्थापित किया।  इसरो का पहला एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा। पीएसएलवी-सी58 ने एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया।

SLV-C58 XPoSat मिशन पर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा, “1 जनवरी 2024 को पीएसएलवी का एक और सफल मिशन पूरा हो गया है।”

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